भारत ने दोहराई समतामूलक जलवायु कार्रवाई के प्रति अपनी प्रतिबद्धता

08 Nov 2025 15:27:00
कॉप 30 सम्मेलन से पहले सभी देशों के राजदूतों की बैठक


बेलेम, 8 नवंबर (हि.स.)। ब्राजील में भारत के राजदूत दिनेश भाटिया ने जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) कॉप-30 के नेताओं के शिखर सम्मेलन से पूर्व एक वक्तव्य में समानता, राष्ट्रीय परिस्थितियों और साझा लेकिन विभेदित उत्तरदायित्वों एवं संबंधित क्षमताओं के सिद्धांतों पर आधारित जलवायु कार्रवाई के प्रति देश की निरंतर प्रतिबद्धता दोहराई। भारत ने पेरिस समझौते की 10वीं वर्षगांठ पर कॉप-30 की मेजबानी के लिए ब्राज़ील का आभार व्यक्त किया और रियो शिखर सम्मेलन की 33 वर्षों की विरासत को याद किया।

कॉप-30 का आयोजन 10 से 21 नवंबर तक ब्राज़ील के बेलेम में किया गया है। इससे पहले विभिन्न देशों के राजदूतों की बैठक में

भारत की तरफ से रखे गए बयान में कहा गया कि यह ग्लोबल वार्मिंग की चुनौती के प्रति वैश्विक प्रतिक्रिया पर विचार करने का एक अवसर है। यह रियो शिखर सम्मेलन की विरासत का जश्न मनाने का भी अवसर है, जहां समता और सीबीडीआर-आरसी के सिद्धांतों को अपनाया गया था, जिसने पेरिस समझौते सहित अंतरराष्ट्रीय जलवायु व्यवस्था की नींव रखी।

भारत ने उष्णकटिबंधीय वनों के संरक्षण के लिए सामूहिक और सतत वैश्विक कार्रवाई की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में इसे मान्यता देते हुए उष्णकटिबंधीय वनों के लिए सदैव सुविधा (टीएफएफएफ) स्थापित करने की ब्राजील की पहल का स्वागत किया और पर्यवेक्षक के रूप में इस सुविधा में शामिल हो गया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत के निम्न-कार्बन विकास पथ पर प्रकाश डालते हुए वक्तव्य में बताया गया कि 2005 से 2020 के बीच, भारत ने सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता में 36 प्रतिशत की कमी की है और यह कमी बदस्तूर जारी है। गैर-जीवाश्म ऊर्जा अब हमारी स्थापित क्षमता का 50 प्रतिशत से अधिक है, जिससे देश संशोधित एनडीसी लक्ष्य को निर्धारित समय से पाँच वर्ष पहले प्राप्त कर सकेगा।

वक्तव्य में भारत के वन एवं वृक्षावरण के विस्तार और 2005 से 2021 के बीच निर्मित 2.29 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्‍साइड समतुल्य अतिरिक्त कार्बन सिंक तथा लगभग 200 गीगावाट स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के साथ दुनिया के तीसरे सबसे बड़े नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादक के रूप में भारत के उभरने पर भी ज़ोर दिया गया। इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन जैसी वैश्विक पहल अब 120 से अधिक देशों को एकजुट करती है और किफायती सौर ऊर्जा तथा दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा देती है।

भारत ने इस बात पर ज़ोर दिया कि पेरिस समझौते के 10 साल बाद भी कई देशों का राष्ट्रीय विकास लक्ष्य (एनडीसी) अपर्याप्त हैं और जहां विकासशील देश निर्णायक जलवायु कार्रवाई कर रहे हैं, वहीं वैश्विक महत्वाकांक्षा अभी भी अपर्याप्त है।

बयान में इस बात पर ज़ोर दिया गया कि शेष कार्बन बजट में तेज़ी से हो रही कमी के मद्देनजर विकसित देशों को उत्सर्जन में कमी लाने में तेज़ी लानी चाहिए।

इस बात पर भी ज़ोर दिया गया कि विकासशील देशों में महत्वाकांक्षी जलवायु लक्ष्यों को लागू करने के लिए किफायती वित्त, तकनीकी पहुंच और क्षमता निर्माण आवश्यक हैं। न्यायसंगत, पूर्वानुमानित और रियायती जलवायु वित्त वैश्विक जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने की आधारशिला है। बहुपक्षवाद के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए तथा पेरिस समझौते की संरचना को संरक्षित और सुरक्षित रखने के लिए भारत ने सभी राष्ट्रों से यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया कि जलवायु कार्रवाई का अगला दशक न केवल लक्ष्यों से परिभाषित हो, बल्कि कार्यान्वयन, लचीलापन और पारस्परिक विश्वास और निष्पक्षता के आधार पर साझा जिम्मेदारी से भी परिभाषित हो।

-----------

हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी

Powered By Sangraha 9.0