
कोयम्बटूर, 09 नवम्बर (हि.स.)। अमृता विश्वविद्यापीठम, कोयम्बटूर में आयोजित संस्कृतभारती का तीन दिवसीय अखिल भारतीय अधिवेशन शनिवार को अत्यंत उत्साह और गरिमा के साथ सम्पन्न हुआ। 07 नवम्बर से आरम्भ हुए इस अधिवेशन में देश-विदेश से आए तीन हजार से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
अधिवेशन में देश के सभी राज्यों के साथ-साथ इण्डोनेशिया और दुबई से भी संस्कृतभारती के कार्यकर्ताओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। उद्घाटन समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी मुख्य अतिथि रहे, जबकि महामहोपाध्याय डॉ मणि द्रविड शास्त्री विशिष्ट अतिथि के रूप में मंचासीन हुए।
इस अवसर पर भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित एक भव्य प्रदर्शनी का आयोजन किया गया, जिसमें देश के विभिन्न भागों से आए 20 संस्थानों ने सहभागिता की। अधिवेशन में संस्कृतभारती का नया अखिल भारतीय अध्यक्ष डॉ रमेश चंद्र पाण्डेय को चुना गया, जो पूर्व में श्री लाल बहादुर शास्त्री संस्कृत विद्यापीठ, नई दिल्ली के कुलपति रह चुके हैं।
कार्यक्रम के दौरान संस्कृतभारती एवं संस्कृत संवर्धन प्रतिष्ठान, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित आठ पुस्तकों का लोकार्पण किया गया। शाम के सत्रों में संस्कृत नाट्य और नृत्य प्रस्तुतियों ने उपस्थित दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। विशेष रूप से तमिलनाडु की सांस्कृतिक विरासत पर आधारित प्रस्तुतियां आकर्षण का केंद्र रहीं।
अधिवेशन का प्रमुख उद्देश्य संस्कृत के संवर्धन, प्रचार और सामाजिक समरसता के माध्यम से भारतीय ज्ञान परंपरा को आधुनिक युग से जोड़ना रहा। इसमें गीता अध्ययन, साप्ताहिक संस्कृत मिलन, कुटुंब बोध और सामाजिक एकता जैसे विषयों पर विस्तृत चर्चा हुई।
कार्यक्रम में पद्मश्री सी.एम. कृष्ण शास्त्री, डॉ श्रीनिवास मूर्ति (निदेशक, आईआईटी हैदराबाद), प्रो. श्रीनिवास वरखेड़ी (कुलपति, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय), तथा डॉ गांती एस. मूर्ति (निदेशक, भारतीय ज्ञान प्रणाली प्रभाग, भारत सरकार) सहित अनेक विद्वान उपस्थित रहे।
समापन समारोह में अमृता विश्वविद्यापीठम के कुलपति प्रो. वेंकटरंगन मुख्य अतिथि रहे। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि “भविष्य में संस्कृत को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की भाषा बनना चाहिए,” जिससे यह प्राचीन भाषा आधुनिक विज्ञान और तकनीक के साथ कदम से कदम मिला सके।
अंत में संस्कृतभारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री जयप्रकाश ने पाथेय भाषण और धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। शांति मंत्र के साथ अधिवेशन का समापन हुआ।
कोयम्बटूर में सम्पन्न यह अधिवेशन संस्कृत के पुनर्जागरण का प्रतीक बनकर उभरा, जिसने भारतीय ज्ञान परंपरा को वैश्विक परिप्रेक्ष्य में नए युग की दिशा दी।
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हिन्दुस्थान समाचार / आकाश कुमार राय