
काठमांडू, 01 दिसंबर (हि.स.)। प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने अपनी नियुक्ति को रद्द करने और प्रतिनिधि सभा विघटन के खिलाफ दायर रिट पर सर्वोच्च अदालत में अपना जवाब प्रस्तुत किया है।
सोमवार को अदालत को भेजे गए लिखित जवाब में उन्होंने अपनी नियुक्ति का बचाव करते हुए दावा किया कि अब प्रतिनिधि सभा की पुनर्स्थापना संभव नहीं है। उन्होंने अदालत से अनुरोध किया कि इस संबंध में दायर सभी रिट को खारिज किया जाए।
कार्की ने अपने जवाब में कहा कि जेन-जी आंदोलन के बाद राज्य में जो जटिल परिस्थिति बनी, उसे राजनीतिक रूप से संभालने की आवश्यकता थी। उनके अनुसार राज्य के सामने दो ही विकल्प थे—विघटित प्रतिनिधि सभा से नई सरकार का गठन और नागरिकों के विश्वास पर आधारित ‘स्वतंत्र नागरिक सरकार’ का गठन।
उन्होंने कहा कि जेन-जी आंदोलन की पृष्ठभूमि में नागरिकों ने राजनीतिक दलों और उनके नेतृत्व पर भरोसा खो दिया था, इसलिए प्रतिनिधि सभा के माध्यम से नई सरकार बनाना संभव नहीं था। कार्की ने दावा किया है कि ऐसी परिस्थिति में नागरिक सरकार का विकल्प चुनना अनिवार्य हो गया था।
09 पृष्ठ के अपने जवाब में उन्होंने दावा किया कि सरकार नागरिकों को सुशासन का अनुभव कराने के लिए निरंतर कार्य कर रही है और प्रतिनिधि सभा चुनाव भी सुशासन के ही एजेण्डा पर केंद्रित है।
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हिन्दुस्थान समाचार / पंकज दास