तानसेन समारोहः उस्ताद अमजद अली ने दोनों बेटों अमान और अयान के साथ लय-ताल और सुरों से बांधा समां

युगवार्ता    16-Dec-2025
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तानसेन समारोह (फाइल फोटो)


ग्वालियर, 16 दिसंबर (हि.स.)। मध्य प्रदेश की संगीत नगरी ग्वालियर में सुर सम्राट तानसेन की स्मृति में आयोजित पांच दिवसीय 101वें तानसेन समारोह के दूसरे दिन मंगलवार शाम की संगीत सभा में सुविख्यात सरोद वादक एवं पद्मविभूषण उस्ताद अमजद अली खान की प्रस्तुति हुई। उन्होंने अपने दोनों बेटों अमान अली खान और अयान अली खान के साथ मिलकर लत-ताल और सुरों से ऐसा समां बांधा कि श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए।

तानसेन समारोह में मंगलवार शाम को सजी संगीत सभा में उस्ताद अमजद अली खान ने अपने दोनों बेटों अमान अली खान और अयान अली खान के साथ मंच पर पहुंचे। कार्यक्रम की शुरुआत में सबसे पहले मंच पर नमूदार हुए अमान–अयान अली बंगश। उन्होंने तानसेन समारोह के पावन मंच पर प्रस्तुति देने को अपने लिए सौभाग्य और गर्व का क्षण बताते हुए श्रोताओं का अभिवादन किया। अपनी प्रस्तुति के लिए उन्होंने अनुष्ठान के राग श्री का चयन किया। आलाप में मद्धम से आरम्भ होकर राग की गंभीरता और गरिमा को उन्होंने अत्यंत संयमित और सधे हुए स्वर-विन्यास में उकेरा।

इसके पश्चात झपताल में प्रस्तुत दो सुसंयोजित बंदिशों ने लय, ताल और सुरों का ऐसा संतुलित समागम रचा कि संपूर्ण वातावरण अध्यात्मिक भाव से आप्लावित हो उठा और श्रोता तन्मय होकर संगीत–रस में डूबते चले गए। तत्पश्चात उन्होंने द्रुत तीन ताल में एक बंदिश प्रस्तुत की। इस प्रस्तुति में फर्रुखाबाद घराने के गुणी तबला वादक और सुविख्यात तबला वादक अनिंदो चटर्जी के पुत्र अनुब्रत चटर्जी ने तबला संगत दी। साथ ही भोपाल के तेजी से उभरते युवा और गुणी तबला वादक रामेंद्र सिंह सोलंकी ने भी तबले पर साथ दिया।

सुविख्यात सरोद वादक एवं पद्मविभूषण उस्ताद अमजद अली खान ने मंच से शिकायत करते हुए कहा कि मैं अच्छा हूं या बुरा हूं, लेकिन ग्वालियर का हूं। मुझे शिकायत ये मौका मुझे 12 साल बाद मिला। इसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री और कलेक्टर रुचिका चौहान का आभार व्यक्त किया।

उन्होंने कहा, मेरी दिली तम्मन्ना है कि हमारे परिवार से एक व्यक्ति आकर हर साल इस समारोह के पहले दिन हाजिरी दें। हम भी महान संगीतज्ञ मियां तानसेन की परंपरा से आते हैं। इसके बाद उन्होंने वैष्णव जन तो तेने कहिए जे पीर पराई जाने रे से शुरुआत की। फिर रघुपति राघवराजा राम पर प्रस्तुति दी। फिर वंदे मातरम को उन्होंने अपने संगीत के जेडीयू से उकेरा। इसके बाद अपने बेटों अमान अली खान और अयान अली खान बंगश, मुंबई के साथ समा बांध दिया। जिसे सुनकर मौजूद श्रोतागण तालियां बजाते रहे। उस्ताद अमजद अली खान ने कहा कि आप लोगों का जोश देखकर लगा रहा है कि पूरी रात बजाता रहूं, लेकिन हमारे बाद भी कई कलाकार हैं, जिन्हें आपको सुनना है।

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर

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