नए भारत की भावनाओं और नई ऊंचाइयों को छूने की महत्वाकांक्षा का प्रतीक है 'पुणे ग्रैंड टूर ट्रॉफी'

17 Dec 2025 17:19:04

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नई दिल्ली, 17 दिसंबर (हि.स.)। भारत की पहली यूसीआई 2.2 मल्टी-स्टेज रोड साइकिलिंग रेस 'बजाज पुणे ग्रैंड टूर 2026' की ट्रॉफी का नई दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान अनावरण किया गया। यह ट्रॉफी पुणे के तांबे का काम करने वाले तांबट आली समुदाय के कारीगरों द्वारा बनाई गई। ट्रॉफी नए भारत की भावनाओं, उसकी व्यापकता और नई ऊंचाइयों को छूने की महत्वाकांक्षा का प्रतीक है।
कार्यक्रम में केंद्रीय युवा मामले और खेल मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया और इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन की अध्यक्ष पीटी उषा, साइक्लिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष पंकज सिंह, पुणे के जिला कलेक्टर जितेंद्र डूडी समेत अन्य लोग उपस्थित थे।
कई राज्यों में घूमेगी ट्रॉफी
अगले 15 दिनों में यह शानदार ट्रॉफी राजस्थान, गुजरात, तेलंगाना, तमिलनाडु और महाराष्ट्र राज्यों में घूमेगी और यह संदेश देगी कि भारत गर्व, महत्वाकांक्षा और विरासत में निहित एक रेस के साथ वैश्विक साइकिलिंग मानचित्र पर अपनी जगह बनाने के लिए तैयार है।
ट्रॉफी- विरासत और प्रेरणा
 
आयोजकों के अनुसार कुछ रचनाएं केवल अपने आकार तक सीमित नहीं होतीं, पुणे ग्रैंड टूर की ट्रॉफी भी ऐसी ही एक रचना है। यह सिर्फ तांबे को ढालकर बनाई गई एक वस्तु नहीं है, बल्कि इसमें खेल की धड़कन, गौरव की खोज में लगे खिलाड़ियों का जज्बा और उस जमीन की स्मृतियां समाई हुई हैं जहां से यह जन्म लेती है। पुणे ग्रैंड टूर की ट्रॉफी की कल्पना इन्हीं भावनाओं के साथ की गई है। इसकी आकृति रेस मार्ग पर स्थित आठ किलों से प्रेरित है। प्रत्येक किला रणनीति, साहस और छत्रपति शिवाजी महाराज की विरासत का प्रतीक है। ये किले केवल भौगोलिक चिन्ह नहीं हैं, ये उस भावना को दर्शाते हैं जिसने पुणे की पहचान गढ़ी है। उनका प्रभाव ट्रॉफी की आठ-खंडीय संरचना और आठ-मुखी मुद्रा में झलकता है।
ट्रॉफी के केंद्र में एक घूमती हुई खोखली आकृति है—मानो भीतर खिंचती हुई एक सांस—जो वेलोड्रोम के आकार को प्रतिबिंबित करती है। जिसने भी यहां साइकिल चालकों को अभ्यास करते देखा है, वह उस लय को जानता है। गति की निरंतर बढ़त, अनुशासन, और उसी रेखा पर बार-बार लौटना, जब तक गति स्वाभाविक न बन जाए। यह आंतरिक भंवर उसी प्रक्रिया को समर्पित है—उस निजी संघर्ष को, जिससे हर राइडर रेस के दिन से बहुत पहले गुजरता है।
पूरी तरह तांबे से बनी है ट्रॉफी
यह ट्रॉफी पूरी तरह से तांबे से बनी है, जो तांबट अली के कारीगरों का सम्मान करती है, जिन्होंने पीढ़ियों से एक ऐसी कला को परफेक्ट बनाया है जिसमें ताकत और सटीकता दोनों की जरूरत होती है। यह 480एमएम लंबी है, लेकिन इसकी असली पहचान उन अनगिनत हथौड़ों की चोटों से बनती है जो इसकी सतह पर हैं। हर निशान एक साइकिल चलाने वाले की लय को दिखाता है जो थकान के बावजूद आगे बढ़ रहा है, अपनी लय ढूंढ रहा है, और रुकने से इनकार कर रहा है।
 
26 देशों के 150 से ज्यादा साइकिलिस्ट लेंगे भाग
बजाज पुणे ग्रैंड टूर एक चार-दिवसीय, चार-स्टेज वाली 437 किलोमीटर की कॉन्टिनेंटल टीम पुरुषों की रोड रेस है, जिसमें 19 से 23 जनवरी 2026 तक 26 देशों के 150 से ज़्यादा प्रोफेशनल इंटरनेशनल साइकिलिस्ट हिस्सा लेंगे। भारत में यह ऐतिहासिक पहली यूसीआई 2.2 रेस महाराष्ट्र सरकार और पुणे जिला प्रशासन द्वारा, साइकिलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के साथ मिलकर आयोजित की जा रही है।
 
हिन्दुस्थान समाचार / वीरेन्द्र सिंह 
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