(लीड) एक भारत-श्रेष्ठ भारत के संकल्प को सुदृढ़ और जीवंत कर रहा काशी तमिल संगमम : सीएम योगी

युगवार्ता    02-Dec-2025
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कार्यक्रम में मुख्यमंत्री


कार्यक्रम में मुख्यमंत्री


वाराणसी, 2 दिसंबर (हि.स.)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार शाम नमोघाट पर काशी तमिल संगमम के चौथे संस्करण का रिमोट से बटन दबाकर उद्घाटन किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा से अपने वोकेशनल एजुकेशन में तमिल, कन्नड़, मलयालम, तेलुगू, मराठी और बंगाली जैसी भाषाओं को सम्मिलित किया है। छात्र अपनी रुचि के अनुसार इनमें से किसी एक भाषा का चयन करेंगे और सरकार उसका पूरा व्यय वहन करेगी। तमिल भाषा इस संदर्भ में एक नया मंच प्रदान कर रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु प्रतिवर्ष रामेश्वरम, मदुरै और कन्याकुमारी धाम के दर्शन के लिए जाते हैं। पर्यटन विभाग विशेष यात्रा कार्यक्रमों का आयोजन करेगा, जिनके माध्यम से श्रद्धालुओं को रियायती दरों पर इन पवित्र स्थलों का दर्शन कराया जाएगा। यह कार्यक्रम भारत के भविष्य में निवेश के समान है। प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में काशी तमिल संगमम् भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक बन चुका है।

मुख्यमंत्री योगी ने वणक्कम काशी और हर-हर महादेव के उद्घोष के साथ सभी अतिथियों का तमिल भाषा में स्वागत किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में काशी तमिल संगमम् का यह चौथा संस्करण एक भारत-श्रेष्ठ भारत के संकल्प को सुदृढ़ और जीवंत कर रहा है। उन्होंने कहा कि काशी और तमिल परंपरा के प्राचीन संबंधों के केंद्र में भगवान शिव हैं। इस संबंध-सेतु को आदि शंकराचार्य ने भारत के चारों कोनों में पवित्र पीठ स्थापित कर आगे बढ़ाया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश का यह प्रवास काशी की शिवभक्ति, प्रयागराज का संगम और अयोध्या में धर्मध्वजा आरोहण के उपरांत प्रभु श्रीराम के दिव्य दर्शन का अद्वितीय आध्यात्मिक सौभाग्य प्रदान करेगा। यह आयोजन उत्तर और दक्षिण भारत की सांस्कृतिक, शैक्षिक, आर्थिक और आध्यात्मिक साझेदारी को सशक्त करते हुए भारत के उज्ज्वल भविष्य के नए द्वार खोल रहा है। इस वर्ष की थीम ‘तमिल सीखें’ प्रेरक है, जो ज्ञान, संस्कृति और भाषा के माध्यम से एक भारत-श्रेष्ठ भारत को और सुदृढ़ करेगी।

सांस्कृतिक एकता का अद्वितीय उत्सव है काशी तमिल संगमम : उपराष्ट्रपति

कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन ने वर्चुअल माध्यम से काशी तमिल संगमम के चौथे संस्करण पर वीडियो संदेश जारी किया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2022 में आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान शुरू हुआ यह आयोजन अब राष्ट्रीय सांस्कृतिक मंच बन चुका है। संगमम् गंगा और कावेरी की संस्कृति को जोड़ते हुए उत्तर और दक्षिण की सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है। उपराष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री द्वारा हाल की मन की बात में कही गई इस टिप्पणी को याद किया कि यह संगम दुनिया की सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक और सबसे प्राचीन जीवित शहर का मिलन है। उन्होंने प्रसन्नता जताई कि तमिल भाषा को राष्ट्रीय स्तर पर उसका उचित सम्मान मिल रहा है। उन्होंने इस वर्ष की थीम आइए तमिल सीखें को भाषाई और सांस्कृतिक सौहार्द बढ़ाने वाला बताया। तमिल भाषा सिखाने आए 50 हिंदीभाषी शिक्षकों की पहल की सराहना की, जो वाराणसी के 50 विद्यालयों में 1,500 छात्रों को प्रशिक्षण दे रहे हैं। तेनकासी से काशी तक चल रही प्रतीकात्मक अगत्यर यात्रा को उन्होंने सांस्कृतिक संबंधों के पुनर्स्मरण का महत्वपूर्ण प्रयास बताया।

एक जन-आंदोलन बन गया है काशी-तमिल संगमम: प्रधान

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि काशी पवित्रता, ज्ञान तथा अध्यात्म की धरती है। भारत की इन दोनों संस्कृतियों के बीच सदियों पुराना नाता रहा है। आप तमिलनाडु के किसी भी मंदिर या स्थान पर जाइए तो आप पाएंगे कि वहां पर विभिन्न स्थानों पर काशी विश्वनाथ महादेव का श्री विग्रह विद्यमान हैं। जिस प्रकार रामेश्ववरम के प्रति दक्षिण भारत में श्रद्धा है, काशी विश्वनाथ के प्रति भी लोगों में उसी प्रकार आस्था है। यही हमारी सभ्यता व संस्कृति की पहचान है। वर्ष 2022 में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हमने उत्तर प्रदेश तथा तमिलनाडु के बीच एक ऐसा सेतु निर्मित किया है जो बौद्धिक आदान-प्रदान के साथ ही कई मायनों में विशिष्ट साबित हो रहा है। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि भारत की सांस्कृतिक और भाषायी विविधता हमारी शक्ति है।

काशिकापुराधिनाथ कालभैरवम् भजे' गुनगुनाते दिखे अतिथि

वाराणसी में काशी तमिल संगमम् के चतुर्थ संस्करण के शुभारंभ समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ग्रुप फोटोग्राफ भी खिंचवाई। उन्होंने प्रदर्शनी में शिरकत करते हुए विभिन्न स्टॉल्स का मुआयना किया। वहीं, मुख्य समारोह में सभी अतिथियों का शंख वादन तथा स्वस्ति वाचन से स्वागत किया गया। वेदमूर्ति देवव्रत रेखे तथा बालाजी बालू हरिदॉस को अंगवस्त्र व प्रतीक चिह्न देकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सम्मानित किया।

तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि भी रहे उपस्थित

कार्यक्रम में तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री डॉ.एल मुरुगन, पुडुचेरी के उप राज्यपाल के कैलाशनाथन, उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, केंद्रीय उच्च शिक्षा सचिव डॉ. विनीत जोशी, काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अजीत चतुर्वेदी, आईआईटी चेन्नई के निदेशक प्रो. वी कामकोटि, आईआईटी बीएचयू के निदेशक डॉ. अमित पात्रा आदि की भी विशिष्ट उपस्थिति रही।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी

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