व्यापार और आर्थिक दृष्टि से देखी जानी चाहिए पुतिन की भारत यात्रा

02 Dec 2025 21:44:00

नई दिल्ली, 02 दिसम्बर (हि.स.) भारत ने आज कहा कि रुस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा दोनों देशों के बीच आर्थिक एवं व्यापार संबंधों में प्रगति की दृष्टि से देखी जानी चाहिए।

विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने यहां बताया कि राष्ट्रपति पुतिन की यह यात्रा भारत और रूस के बीच रणनीतिक साझीदारी स्थापित होने और वार्षिक शिखर बैठक की शुरुआत के 25 वर्ष पूर्ण होने के मौके पर हो रही है। पुतिन पहली बार वर्ष 2000 में आए थे, उसके बाद ये 23वीं वार्षिक शिखर बैठक है।

अधिकारियों ने कहा कि इस यात्रा को हमारे बढ़ते आर्थिक और व्यापारिक संबंधों के परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए। पिछले कुछ वर्षो में हमारे द्विपक्षीय व्यापार में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि इस यात्रा के दौरान व्यापार, टेक्नोलॉजी, अंतरिक्ष, मीडिया भागीदारी को लेकर हम कई क्षेत्रों में समझौता करने जा रहे हैं।

अधिकारियों ने कहा कि दोनों देशों के नेताओं ने व्यापार और आर्थिक संबंधों को और मज़बूत करने को एक प्राथमिकता वाला क्षेत्र बताया है, जिन्होंने द्विपक्षीय निवेश को 2025 तक 50 अरब डॉलर और द्विपक्षीय व्यापार को 2030 तक 100 अरब तक बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया था। वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय व्यापार 68.7 अरब डॉलर के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया। इसमें भारत से 4.9 अरब डॉलर का निर्यात और रूस से 63.8 अरब डॉलर का आयात शामिल है।

अधिकारियों के अनुसार भारत से निर्यात की प्रमुख वस्तुओं में फार्मास्यूटिकल्स, ऑर्गेनिक और इनऑर्गेनिक रसायन, लोहा और इस्पात, तथा समुद्री उत्पाद शामिल हैं, जबकि रूस से आयात की जाने वाली प्रमुख वस्तुओं में तेल और पेट्रोलियम उत्पाद, वनस्पति तेल (विशेष रूप से सूरजमुखी तेल), उर्वरक, कोकिंग कोयला, और कीमती पत्थर तथा धातुएं शामिल हैं। उन्होंने कहा कि उर्वरक का रूस से आयात महत्पूर्ण है। इस दिशा में दोनों देशों की कंपनियां और भागीदारी बढ़ा रही हैं।

अधिकारियों ने कहा कि रूस देश में मानव संसाधनों का बड़ा ग्राहक रहा है। भारत और रूस कुशल कामगारों को भेजने को लेकर समझौता करने जा रहे हैं जिसका मसौदा फाइनल हो गया है।

उन्होंने कहा कि भारत एवं यूरेशियाई आयोग के बीच मुक्त व्यापार समझौते को लेकर बातचीत शुरू हो चुकी है। पहले दौर की वार्ता भी हो चुकी है। इस यात्रा के दौरान भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग परिसंघ फिक्की और रूसी व्यापारिक संगठन एक कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं जिसमें विभिन्न व्यापारिक मुद्दों पर चर्चा होगी। उन्होंने कहा कि भारत की रूस में राजनयिक उपस्थिति बढ़ी है। कजान और एकार्तिरिन्बर्ग में वाणिज्य दूतावास खोले गए हैं।

एक सवाल के जवाब में अधिकारियों ने कहा कि आतंक भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय एजेंडा का प्रमुख हिस्सा है। दोनों देशों के बीच आतंकवाद से मुकाबले को लेकर साझा तंत्र भी बना हुआ है।

रूसी सेना में भारतीय विद्यार्थियों और कामगारों की भर्ती के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वर्ष 2002 के बाद हमारे पास कोई पुख्ता मेकेनिज़्म नहीं हैं कि हम बता सकें कि कितने लोग विदेश काम करने जा रहे हैं। हम नहीं जानते कितने लोगों की रूसी सेना में भर्ती हुई है।

अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय द्वारा पुतिन के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए जाने के बारे में पूछे जाने पर अधिकारियों ने कहा कि यह वारंट भारत के लिए कोई मायने नहीं रखता। भारत रूस रणनीतिक साझीदार है और हम अपने रणनीति संबंधों के 25 साल का उत्सव मना रहे हैं। हम आईसीसी के सदस्य भी नहीं हैं लिहाजा हमारे लिए कोई बाध्यता नहीं है।

रूस से तेल खरीददारी कम करने या बंद करने के बारे में उन्होंने कहा कि यह तेल कंपनियों का अपना फैसला है जो कारोबार पर आधारित है वो नफा नुकसान के आधार पर फैसला करती है।

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हिन्दुस्थान समाचार / सचिन बुधौलिया

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