राहुल ने किया जर्मनी में विद्यार्थियों से संवाद, भाजपा पर संविधान की मूल भावना को कमजोर करने का आरोप लगाया

23 Dec 2025 11:59:00
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने अपने 5 दिवसीय जर्मनी दौरे के दौरान भारतीय जनता पार्टी पर भारतीय संविधान की मूल भावना को कमजोर करने की साजिश रचने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि भाजपा संविधान में निहित समान अधिकार, राज्यों की समानता, भाषाई विविधता और धार्मिक समानता के विचार को समाप्त करना चाहती है।  राहुल गांधी ने बर्लिन स्थित हर्टी स्कूल में आयोजित कार्यक्रम के दौरान छात्रों से संवाद करने का सोमवार रात लगभग एक घंटे का वीडियो सोशल मीडिया पर जारी किया। इस वीडियो में राहुल गांधी ने लोकतंत्र, संस्थाओं और वैश्विक हालात पर अपने विचार रखे।  राहुल गांधी ने कहा कि देश की लोकतांत्रिक संस्थाएं स्वतंत्र रूप से कार्य नहीं कर पा रही हैं और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और  प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जैसी एजेंसियों का राजनीतिक हथियार के रूप में उपयोग किया जा रहा है। इन एजेंसियों की कार्रवाई मुख्य रूप से विपक्षी नेताओं के खिलाफ होती है, जबकि भाजपा नेताओं पर मामलों का अभाव दिखाई देता है। कांग्रेस की लड़ाई केवल भाजपा से नहीं, बल्कि संस्थागत ढांचे और एजेंसियों पर कथित कब्जे के खिलाफ भी है।  चुनावी प्रक्रिया को लेकर राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस ने तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश के चुनाव जीते हैं और हरियाणा चुनाव में भी पार्टी को जीत का भरोसा है। उन्होंने दावा किया कि हरियाणा की मतदाता सूची में एक विदेशी महिला का नाम पाए जाने का मुद्दा उठाया गया, लेकिन चुनाव आयोग की ओर से संतोषजनक जवाब नहीं मिला। राहुल गांधी ने महाराष्ट्र के चुनावों की निष्पक्षता पर भी सवाल किए।  राहुल गांधी ने कहा कि दुनिया इस समय बड़े बदलाव के दौर से गुजर रही है। पहले भारत को अमेरिका के प्रभुत्व वाली वैश्विक व्यवस्था से लाभ मिला, लेकिन अब अमेरिका की सैन्य, आर्थिक और वित्तीय शक्ति को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है और आंतरिक समस्याएं भी बढ़ी हैं। वैश्विक उत्पादन का बड़ा हिस्सा चीन के पास चला गया है, जिससे भारत जैसे देशों के लिए केवल सेवा क्षेत्र के आधार पर बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा करना कठिन हो गया है।  राहुल गांधी ने कहा कि भारत में व्यापक स्तर पर रोजगार सृजन के लिए विनिर्माण क्षेत्र का मजबूत होना आवश्यक है। भाजपा सरकार ने कुछ बड़े उद्योग समूहों को प्राथमिकता दी, जिससे व्यापार पर जोर बढ़ा और उत्पादन प्रभावित हुआ। नोटबंदी और वस्तु एवं सेवा कर जैसी नीतियों से छोटे और मध्यम उद्योगों को नुकसान पहुंचा, जिसका सीधा असर रोजगार पर पड़ा।  राहुल गांधी ने मौजूदा स्थिति को भारत के दो विचारधारात्मक दृष्टिकोणों के बीच संघर्ष बताया। उन्होंने कहा कि एक दृष्टिकोण मजबूत नेता के केंद्रीकृत शासन में विश्वास करता है, जबकि दूसरा संवाद, सहमति और देश की विविधता को साथ लेकर चलने पर आधारित है। भारत इतना बड़ा और विविध देश है कि उसका भविष्य किसी एक व्यक्ति द्वारा तय नहीं किया जा सकता। संविधान भारत को राज्यों का संघ मानता है, लेकिन मौजूदा सरकार इस पर व्यापक चर्चा के लिए तैयार नहीं है।


नई दिल्ली, 23 दिसंबर (हि.स.)। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने अपने पांच दिवसीय जर्मनी दौरे के दौरान भारतीय जनता पार्टी पर भारतीय संविधान की मूल भावना को कमजोर करने की साजिश रचने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि भाजपा संविधान में निहित समान अधिकार, राज्यों की समानता, भाषाई विविधता और धार्मिक समानता के विचार को समाप्त करना चाहती है।

कांग्रेस नेता राहुल ने बर्लिन स्थित हर्टी स्कूल में आयोजित एक कार्यक्रम में विद्यार्थियों के साथ संवाद करने का सोमवार रात लगभग एक घंटे का वीडियो सोशल मीडिया पर जारी किया। इस वीडियो में राहुल ने लोकतंत्र, संस्थाओं और वैश्विक हालात पर विचार रखे।

उन्होंने कहा कि भारत की लोकतांत्रिक संस्थाएं स्वतंत्र रूप से कार्य नहीं कर पा रही हैं। सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय जैसी एजेंसियों का विरोधियों के खिलाफ राजनीतिक हथियार के रूप में उपयोग किया जा रहा है। कांग्रेस की लड़ाई केवल भाजपा से नहीं, बल्कि संस्थागत ढांचे और एजेंसियों पर कथित कब्जे के खिलाफ भी है।

उन्होंने दावा किया कि भारत के हरियाणा प्रांत की मतदाता सूची में एक विदेशी महिला का नाम पाए जाने का मुद्दा उठाया गया, लेकिन निर्वाचन आयोग से संतोषजनक जवाब नहीं मिला। राहुल ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल किए। राहुल ने कहा कि भारत में व्यापक स्तर पर रोजगार सृजन के लिए विनिर्माण क्षेत्र का मजबूत होना आवश्यक है। भाजपा सरकार ने कुछ बड़े उद्योग समूहों को प्राथमिकता दी। नोटबंदी और वस्तु एवं सेवा कर जैसी नीतियों से छोटे और मध्यम उद्योगों को नुकसान पहुंचा है।

राहुल गांधी ने कहा कि भारत इतना बड़ा और विविध देश है कि उसका भविष्य किसी एक व्यक्ति द्वारा तय नहीं किया जा सकता। संविधान भारत को राज्यों का संघ मानता है, लेकिन मौजूदा सरकार इस पर व्यापक चर्चा के लिए तैयार नहीं है।

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / प्रशांत शेखर

Powered By Sangraha 9.0