राष्ट्रपति का आईडीएएस अधिकारियों से आह्वान: रक्षा वित्तीय प्रबंधन में नवाचार और आत्मनिर्भरता को दें गति

24 Dec 2025 15:56:01
भारतीय रक्षा लेखा सेवा के 2024 बैच के प्रोबेशनर्स आज राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से शिष्टाचार भेंट के दौरान


नई दिल्ली, 24 दिसंबर (हि.स.)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने भारतीय रक्षा लेखा सेवा (आईडीएएस) के अधिकारियों से बदलते सुरक्षा परिदृश्य के अनुरूप तेज, पारदर्शी और तकनीक आधारित वित्तीय प्रबंधन अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि रक्षा सेवाओं की परिचालन तत्परता और आत्मनिर्भर रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण में आईडीएएस की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।

राष्ट्रपति बुधवार को यहां आईडीएएस के 2024 बैच के प्रोबेशनर्स को संबोधित कर रही थीं। राष्ट्रपति ने कहा कि आईडीएएस अधिकारी सशस्त्र बलों और संबद्ध संगठनों के वित्तीय संसाधनों के प्रबंधन में अहम भूमिका निभाते हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि बजट, लेखांकन, लेखा परीक्षा, भुगतान, वित्तीय परामर्श और रक्षा व्यय में पारदर्शिता सुनिश्चित करने तक आईडीएएस की जिम्मेदारियां व्यापक हैं, जिनका सीधा प्रभाव रक्षा की परिचालन तत्परता और बुनियादी ढांचे के विकास पर पड़ता है। उन्होंने अधिकारियों से सशस्त्र बलों के सामने आने वाली विशिष्ट चुनौतियों, कठिन परिस्थितियों और परिचालन वास्तविकताओं को समझने की अपेक्षा जताई।

राष्ट्रपति ने बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य और उभरती सुरक्षा चुनौतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि आज के दौर में तेज, समझदारीपूर्ण और सटीक निर्णय लेने की आवश्यकता है। साथ ही, कार्यप्रणालियां अधिक जटिल और प्रौद्योगिकी आधारित हो रही हैं, ऐसे में रक्षा लेखा विभाग को निरंतर अनुकूलन, नवाचार और आधुनिकीकरण की दिशा में आगे बढ़ना होगा।

उन्होंने सरकार के ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ को गति देने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देना, स्थानीय आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करना और घरेलू उद्योग को प्रोत्साहित करना समय की मांग है। इस दिशा में आईडीएएस अधिकारी आत्मनिर्भर और सुदृढ़ रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण में प्रभावी भूमिका निभा सकते हैं।

राष्ट्रपति ने अधिकारियों से आजीवन सीखने की भावना बनाए रखने, जिज्ञासु रहने और आत्मविश्वास के साथ बदलाव को अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सेवा का वास्तविक मूल्य पद या पहचान में नहीं बल्कि संस्थानों के सुचारु संचालन और नागरिकों के कल्याण के लिए किए गए निरंतर योगदान में निहित होता है।

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हिन्दुस्थान समाचार / सुशील कुमार

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