आत्मबोध से विश्वबोध की यात्रा वैश्विक संकट का समाधान है: डॉ. भाग्येश

29 Dec 2025 20:48:53
कार्यक्रम आत्मबोध से विश्वबोध


अभिव्यक्ति’ प्रदर्शनी


​नई दिल्ली, 29 दिसम्बर (हि.स.)।​ गुजरात साहित्य अकादमी के अध्यक्ष एवं साहित्यकार डॉ. भाग्येश वासुदेव झा ने सोमवार को कहा कि​ आत्मबोध से विश्वबोध की यह यात्रा ही वैश्विक संकट का वास्तविक समाधान है।

डॉ. भाग्येश ने यह बात आज दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) में डॉ. कपिला वात्स्यायन स्मृति व्याख्यान श्रृंखला के अंतर्गत आयोजित कार्यक्रम आत्मबोध से विश्वबोध पर कही। इस दौरान, वस्त्र संग्रह पर आधारित ‘अभिव्यक्ति’ प्रदर्शनी भी आयोजित की गयी। इसका उद्घाटन डॉ झा ने किया। इसकी क्यूरेटर सारिका अग्रवाल हैं। इस आयोजन का उद्देश्य डॉ. कपिला वात्स्यायन के निजी संग्रह पर आधारित सांस्कृतिक अभिलेखागार पर केंद्रित था।

​इस मौके पर आईजीएनसीए के अध्यक्ष रामबहादुर राय, सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी और आईजीएनसीए विभागाध्यक्ष (कला निधि) एवं डीन के प्रो. (डॉ.) रमेश चन्द्र गौड़ सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।

मुख्य अतिथि के रूप में झा ने कहा, भारतीय विश्वबोध का मूलमंत्र 'सर्वे भवन्तु सुखिनः' है। यह चेतना 'मैं और तुम' के भेद को खत्म करती है। उन्होंने समझाया कि आत्मबोध सिर्फ़ किताबी ज्ञान नहीं, बल्कि अनुभूति है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि टेक्नोलॉजी के इस दौर में मानसिक असंतुलन सबसे बड़ा खतरा है। इसका हल केवल तकनीक में नहीं, बल्कि आत्मबोध में निहित है। उन्होंने

उन्होंने भगवद्गीता और उपनिषदों की शक्ति को रेखांकित किया, जिनके केंद्रीय सूत्र 'अहम् ब्रह्मास्मि' और 'तत्त्वमसि' व्यक्ति को अहंकार, भय और ईर्ष्या से मुक्त कर भारतीय चेतना की नींव रखते हैं।

उनके अनुसार, आज के वैश्विक संघर्षों (इजराइल-हमास, रूस-यूक्रेन) की जड़ 'पहचान का संकट' है। उन्होंने आधुनिक विचारों के विपरीत भारतीय चिंतन को शाश्वत माना।

डॉ. जोशी ने बताया कि वस्त्र केवल भौतिक वस्तु नहीं, बल्कि स्मृति, भाव और परंपरा के संवाहक होते हैं। यह प्रदर्शनी कपिला वात्स्यायन जी के वस्त्र-संग्रह के माध्यम से भावनाओं और कथाओं को सामने लाती है।

यह प्रदर्शनी 7 जनवरी तक दर्शकों के लिए खुली रहेगी। इसी बीच, इसका कैटलॉग भी जारी किया गया।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रद्धा द्विवेदी

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