
काठमांडू, 29 दिसंबर (हि.स.)। नेपाल के पूर्व गृहमंत्री रमेश लेखक ने 8 और 9 सितंबर को जेन-जी आंदोलन के दौरान हुई घटनाओं के संबंध में उच्चस्तरीय न्यायिक जांच आयोग के समक्ष कहा कि आंदोलन के नाम पर सुनियोजित ढंग से घुसपैठ कर तोड़फोड़ और हिंसा की गयी लेकिन प्रधानमंत्री सहित किसी भी मंत्री को फायरिंग या जनता का दमन करने का आदेश देने का कानूनी अधिकार नहीं है इसलिए उन्होंने ऐसा कोई आदेश नहीं दिया था।
सोमवार को दोपहर 12:45 बजे से 2:45 बजे तक, लगभग दो घंटे तक, नेपाली उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश गौरी बहादुर कार्की के नेतृत्व वाले आयोग के समक्ष उन्होंने बयान दर्ज कराया और छह पन्नों का लिखित विवरण भी सौंपा। बयान के बाद लेखक ने नेपाली कांग्रेस संसदीय दल के कार्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को भी संबोधित किया।
लेखक ने अपने बयान में उन्होंने आंदोलन की पृष्ठभूमि, उस समय की सुरक्षा व्यवस्था, अपनी नैतिक जिम्मेदारी तथा आयोग से अपनी अपेक्षाओं को स्पष्ट किया। लेखक ने इस आरोप को सिरे से खारिज किया कि उन्होंने आंदोलन के दौरान सुरक्षा बलों को बल प्रयोग करने या गोलियां चलाने का निर्देश दिया था। उन्होंने कहा कि न तो तत्कालीन प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और न ही स्वयं, गृहमंत्री के रूप में, ऐसे आदेश देने का कोई कानूनी अधिकार रखते थे।
उन्होंने कहा, “किसी भी मंत्री को फायरिंग या दमन का आदेश देने का कानूनी अधिकार नहीं होता। 8 और 9 सितंबर को हुए जेन-जी आंदोलन के दौरान गोली चलाने के लिए न तो कोई लिखित और न ही मौखिक आदेश जारी किया गया था।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि मंत्रियों को इस तरह का निर्देश देने की कोई कानूनी व्यवस्था ही नहीं है।
लेखक ने बताया कि इन घटनाओं के बाद एक राजनीतिक नेता के रूप में नैतिक जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दिया था। उन्होंने यह भी दावा किया कि आंदोलन के दौरान नेताओं के आवासों, दफ्तरों और राज्य संरचनाओं पर हुए हमले योजनाबद्ध और प्रायोजित थे। उनके अनुसार, 9 सितंबर को जानबूझकर विशेष लक्ष्यों पर हमले किए गए, नेताओं के आवासों में आग लगाई गई और गंभीर आपराधिक गतिविधियां हुईं।
इसके अलावा, लेखक ने आरोप लगाया कि जेन-जी आंदोलन में घुसपैठ की गई थी। आंदोलन के नाम पर जानबूझकर घुसपैठ कर तोड़फोड़ और हिंसक गतिविधियां अंजाम दी गईं। उन्होंने कहा कि 8 सितंबर को मैतीघर से न्यू बानेश्वर पहुंचने के बाद इस घुसपैठ की शुरुआत हुई। यहां तक कि जेन-जी आयोजकों द्वारा आंदोलन समाप्त करने की घोषणा के बाद भी योजनाबद्ध तरीके से तोड़फोड़ और हिंसा की गई।
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हिन्दुस्थान समाचार / पंकज दास