देश को गुलामी की मानसिकता में धकेलने के लिए कांग्रेस जिम्मेदार : डॉ. दिनेश शर्मा

03 Dec 2025 23:47:00
डॉ दिनेश शर्मा, राज्य सभा सांसद


नई दिल्ली, 03 दिसंबर (हि.स.)।

राज्य सभा सांसद डॉ. दिनेश शर्मा ने आरोप लगाया कि देश को गुलामी की मानसिकता में धकेलने के लिये कांग्रेस पूरी तरह से जिम्मेदार है। बुधवार को राज्य सभा में शून्यकाल में 'भारत के अमृत काल का उदय : विदेशी आक्रांताओ का प्रतीक और औपनिवेशिक युग की मानसिकता का जड़ से उन्मूलन” पर विस्तृत चर्चा करते हुए उन्होंने आक्रांताओं के नाम पर दिल्ली की सड़कों के नामों से सदन को अवगत कराया।

दिनेश शर्मा ने कहा कि औपनिवेशिक मानसिकता की छाया से मुक्त होने पर ही हम सच्चे अर्थों में स्वयं को आजाद कह सकते हैं। दिल्ली की सड़कों के नाम आक्रांता मुगल बादशाहों और क्रूर ब्रिटिश वायसराय तथा अधिकारियों के नाम पर हैं। देश के अन्य स्थानों के साथ-साथ श्री राम लला की नगरी अयोध्या में भी ये नाम, हमारे ऐतिहासिक आख्यान का हिस्सा हैं, स्वतंत्रता के बाद कांग्रेस ने सभी समुदायों के धार्मिक गुरूओं, स्वतंत्रता सेनानी और देश भक्तों के सर्वोच्च बलिदान का अपमान किया और आक्रमणकारियों, विदेशी आक्रांताओ को महत्व दिया और इसके बजाय दिल्ली की अधिकांश गलियों, कॉलोनियों, सड़कों, पार्कों या उद्यानों के नाम आक्रमणकारियों के नाम पर रखे गए हैं ताकि उनका महिमामंडन किया जा सके।

उन्होंने आंकड़े बताते हुए कहा कि अकबर रोड, शाहजहां रोड, हुमायूं रोड, लोदी रोड, मिंटो रोड और मिंटोब्रिज, कनॉट प्लेस सर्कल, सफदरजंग रोड सभी के नाम मुगल काल से जुड़े हैं। यही नहीं, जलियांवाला बाग में गोली चलाई जाने का आदेश देने वाले अंग्रेज चेम्सफोर्ड के नाम पर रोड, हेली रोड के नाम ब्रिटिश आक्रांता के नाम पर हैं। ये नाम, जबकि ऐतिहासिक रूप से मौजूद हैं, एक स्वतंत्र और गर्वित भारत के आदशों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। वे उन लोगों के नामों के समान राष्ट्रीय गौरव की भावना को प्रेरित नहीं करते हैं, जिन्होनें वास्तव में हमारे राष्ट्र का निर्माण किया, उसके लिए लड़ाई लड़ी और उसे समृद्ध किया।

सांसद ने कहा कि अब समय आ गया है कि हम खुद से पूछें- हम वास्तव में किसकी कहानियां सुनाना चाहते हैं? हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे अपने दैनिक जीवन में नेविगेट करते हुए किसके योगदान को याद करें और उनका सम्मान करें?

दिनेश शर्मा ने प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने राजभवन को लोक भवन, केंद्रीय सचिवालय का नाम कर्तव्य भवन और पीएमओ का नाम सेवा तीर्थ करके यह सिद्ध किया है कि राज सत्ता में सेवा भाव सर्वोपरि है और हमारे दिमाग को औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्त करने की ओर एक कदम है, भारत की अदम्य पवित्र भावना को श्रद्धांजलि है।

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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी

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