
नई दिल्ली, 3 दिसंबर (हि.स.)। केंद्र सरकार ने देश में डिजिटल और मोबाइल कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए दूरसंचार क्षेत्र में बैंक गारंटी, स्पेक्ट्रम शुल्क और टेलीकॉम लाइसेंस जैसी प्रक्रियाओं को आसान बनाया है। साथ ही ग्राहकों के डेटा को डिजिटल रूप में सुरक्षित रखा, टेलीकॉम टावरों की मंजूरी प्रक्रिया सरल की और विदेशी निवेश के लिए अधिक सुविधा प्रदान की। इन सुधारों से ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क एवं बेस ट्रांसिवर स्टेशनों का विस्तार हुआ, ब्रॉडबैंड और मोबाइल सेवाओं का दायरा बढ़ा और डेटा खपत में बढ़ोतरी हुई है। ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में डिजिटल पहुंच बढ़ाने के लिए डिजिटल भारत निधि के तहत 4जी सैचुरेशन प्रोजेक्ट और संशोधित भारतनेट कार्यक्रम लागू किए गए हैं।
संचार एवं ग्रामीण विकास राज्यमंत्री डॉ. पेम्मासानी चंद्र शेखर ने लोकसभा में लिखित उत्तर में बताया कि सरकार ने दूरसंचार क्षेत्र को मजबूत करने के लिए कई नीतिगत और प्रशासनिक सुधार किए हैं। इन सुधारों में बैंक गारंटी और स्पेक्ट्रम शुल्क जैसी प्रक्रियाओं को आसान बनाना, विदेशी निवेश के लिए 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति देना, ग्राहक डेटा को डिजिटल रूप में रखना और टेलीकॉम टावरों की मंजूरी दी गई है।
सरकार के इन कदमों से मार्च 2018 में देश में ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क की लंबाई 17.5 लाख किलोमीटर थी, जो अब सितंबर 2025 तक बढ़कर 42.36 लाख किलोमीटर हो गई है। इसी अवधि में बेस ट्रांसिवर स्टेशनों की संख्या 17.3 लाख से बढ़कर 31.4 लाख हो गई है। देश के 6,44,131 गांवों में से अब 6,34,019 गांव मोबाइल कवरेज में हैं, जिनमें से 6,30,676 गांवों में 4जी सेवा उपलब्ध है। ब्रॉडबैंड सदस्यता 48 करोड़ से बढ़कर 98 करोड़ हो गई है। साथ ही पीएम वाणी के तहत 3.80 लाख वाई-फाई हॉटस्पॉट पूरे देश में लगाए जा चुके हैं।
मोबाइल डेटा की खपत भी लगातार बढ़ रही है। सितंबर 2018 में प्रति ग्राहक मासिक डेटा खपत 8.32 जीबी थी, जो सितंबर 2025 में 25.24 जीबी तक पहुंच गई है। इस दौरान डेटा की औसत कीमत प्रति जीबी घटकर 10.91 रुपए से 8.27 रुपए रह गई है।
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हिन्दुस्थान समाचार / प्रशांत शेखर