
-डॉ. मयंक चतुर्वेदी
भोपाल, 3 दिसंबर (हि.स.)। मध्य प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पेश किया गया वित्त वर्ष 2025–26 का दूसरा अनुपूरक बजट राज्य की विकास प्राथमिकताओं और राजनीतिक दिशा दोनों का दस्तावेज कहा जा सकता है। कुल 13,476 करोड़ 94 लाख रुपए के इस अनुपूरक प्रावधान में ग्रामीण विकास, महिला सशक्तिकरण, जल संसाधन, बुनियादी ढांचा और उद्योग निवेश को सबसे अधिक महत्व दिया गया है। वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा के अनुसार यह बजट जनकल्याण और राज्य निर्माण की निरंतर यात्रा का विस्तार है। यह अनुपूरक बजट स्पष्ट संकेत देता दिखा है कि सरकार अपनी प्राथमिकताएं तय कर चुकी है जिसमें गांव, गरीब, महिला, युवा और बुनियादी ढांचा विकासक्रम में सबसे ऊपर हैं। यह दिशा चुनावी राजनीति से इतर एक दीर्घकालिक विकास–ढाँचे की ओर बढ़ते मध्य प्रदेश की तस्वीर भी पेश करती है।
प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के लिए 4,000 करोड़ रुपये का प्रावधान यह संकेत देता है कि घर सिर्फ एक सरंचना भर नहीं है, यह ग्रामीण गरीबी उन्मूलन और सामाजिक सुरक्षा का दृढ़ आधार है। यह आवंटन आवासहीन परिवारों को स्थायित्व प्रदान करता है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी गति देता है क्योंकि निर्माण कार्य स्थानीय श्रम और सामग्री को सक्रिय करते हैं। पंचायत विभाग को 1,633 करोड़ रुपये का अनुदान 15वें वित्त आयोग की अनुशंसाओं के अनुरूप दिया गया है, जिससे ग्रामीण शासन तंत्र की मजबूती और अधोसंरचना विकास को वास्तविक धरातल पर कार्यान्वित करने की दिशा में महत्वपूर्ण मदद मिलेगी। पंचायतों को वित्तीय रूप से सशक्त करना ग्रामीण विकास की नींव को मजबूत करने वाला सबसे जरूरी कदम है।
महिला सशक्तीकरण के मोर्चे पर सरकार ने मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना को 1,794 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय सहयोग प्रदान करके यह स्पष्ट संदेश दिया है कि महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता और सामाजिक भागीदारी को बढ़ाना उसके विकास मॉडल का अहम हिस्सा है। लाड़ली बहना योजना ने राज्य की महिलाओं को आर्थिक सुरक्षा प्रदान की है और यह आवंटन इस कार्यक्रम की निरंतरता और विस्तार का संकेत है। महिलाओं के हाथ में वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता घरेलू अर्थव्यवस्था के साथ सामाजिक ढांचे को भी नई दिशा प्रदान करती है और यह योजना इसी परिवर्तन का आधार बनकर उभर रही है।
अनुपूरक बजट में जल संसाधन और नर्मदा घाटी विकास परियोजनाओं पर किए गए प्रावधान यह दिखाते हैं कि सरकार कृषि की स्थिरता और उत्पादकता को लेकर कितनी गंभीर है। नर्मदा घाटी विकास विभाग के लिए सरदार सरोवर डूब प्रभावित क्षेत्रों में भूमि अधिग्रहण और अन्य कार्यों के लिए 600 करोड़ रुपये, बरगी नहर विस्तार योजना के लिए 200 करोड़ रुपये और इंदिरा सागर परियोजना के लिए 94 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। जल संसाधन विभाग को बांधों और संबंधित संरचनाओं के लिए 300 करोड़ रुपये तथा बहुती फिल्टर संयंत्र-2 के फेज-2 के लिए 63 करोड़ रुपये दिए गए हैं।
वस्तुत: यह निवेश सिंचाई क्षमता बढ़ाने, पेयजल उपलब्धता सुनिश्चित करने और कृषि भूमि की उत्पादकता को स्थिर करने में प्रमुख भूमिका निभाएगा। किसान कल्याण और कृषि विकास विभाग की भावांतर/लेट रेट योजना के लिए 500 करोड़ रुपये का प्रावधान यह बताता है कि सरकार किसानों की आय को बाजार की अस्थिरता से सुरक्षित रखना चाहती है।
शहरी क्षेत्रों के तेजी से विस्तार और सुविधाओं के बढ़ते बोझ को देखते हुए बजट में शहरी विकास को भी बड़ी प्राथमिकता दी गई है। अमृत मिशन 2.0 के लिए 150 करोड़ रुपये, मिलियन प्लस शहरों के लिए 115 करोड़ रुपये और एक लाख से कम आबादी वाले शहरों के लिए 100 करोड़ रुपये का प्रावधान यह दर्शाता है कि सरकार शहरी जीवन को व्यवस्थित और आधुनिक बनाने के प्रयासों को तेज करना चाहती है।
लोक निर्माण विभाग को भूमि अधिग्रहण के लिए 300 करोड़ रुपये दिए जाने से स्पष्ट है कि नई सड़कों, पुलों और अन्य सार्वजनिक उपयोग की बुनियादी संरचनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण की बाधाओं को दूर किया जाएगा। यही नहीं, मंत्रि-परिषद द्वारा मुख्यमंत्री नगरीय क्षेत्र अधोसंरचना निर्माण योजना को वर्ष 2026-27 तक जारी रखने और इसके लिए 500 करोड़ रुपये के अतिरिक्त स्वीकृति देने का निर्णय यह दर्शाता है कि शहरों में पेयजल, स्ट्रीट लाइट, नाली, खेल मैदान, सामुदायिक भवन और अन्य मूलभूत सुविधाओं के विकास को गंभीरता से आगे बढ़ाया जा रहा है। इस योजना के अंतर्गत अब तक 1,062 परियोजनाएं स्वीकृत की जा चुकी हैं जिनमें 325 पूर्ण, 407 प्रगतिरत और 330 डीपीआर या निविदा प्रक्रिया में हैं।
औद्योगिक विकास और निवेश प्रोत्साहन के क्षेत्र में भी सरकार ने बड़े वित्तीय प्रावधान किए हैं। औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग को भूमि अधिग्रहण, सर्वे, डिमार्केशन और सेवा शुल्क आदि के लिए 650 करोड़ रुपये दिए गए हैं, जबकि उत्पादन संस्थाओं को ऋण सहायता हेतु 2,000 करोड़ रुपये की पूंजीगत राशि का प्रावधान किया गया है। यह निवेश राज्य में नए उद्योगों को आकर्षित करने के साथ-साथ एमएसएमई क्षेत्र को भी मजबूत करेगा जो मध्य प्रदेश में रोजगार सृजन और आर्थिक गतिविधि का प्रमुख आधार है। औद्योगिक आधार को मजबूत किए बिना राज्य की विकास गति को बनाए रखना संभव नहीं है और सरकार ने इस दिशा में ठोस कदम बढ़ाया है।
इसी तरह शिक्षा विभाग और जनजातीय विकास को भी बजट में समुचित स्थान दिया गया है। पीएम जनमन (समग्र शिक्षा) के लिए 122 करोड़ रुपये और धरती आबा जनजातीय ग्राम उन्नयन अभियान के लिए 108 करोड़ रुपये का प्रावधान यह दर्शाता है कि सरकार शिक्षा के साथ-साथ जनजाति क्षेत्रों के विकास को भी समान महत्व देती है। जनजातीय क्षेत्रों में सामाजिक और आर्थिक पिछड़ापन दूर करने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे पर किया गया निवेश राज्य के समावेशी विकास मॉडल को मजबूत बनाता है।
कुल मिलाकर इस अनुपूरक बजट को लेकर यही कहा जाएगा कि मप्र में डॉ. मोहन यादव की भाजपा सरकार अपने विकास एजेंडे को पूरी गंभीरता और संवेदनशीलता के साथ लागू कर रही है। गांवों में आवास और पंचायतों को सशक्त करने से लेकर महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता, किसानों की आय सुरक्षा, जल और सिंचाई संरचनाओं का विस्तार, शहरों की आधुनिक जरूरतों को पूरा करने और औद्योगिक निवेश बढ़ाने तक सरकार का हर कदम एक व्यापक और संतुलित विकास दृष्टि को सामने रखता है।
कहना होगा कि यह बजट सिर्फ आंकड़ों का जोड़-घटाव तक सीमित नहीं है, यह तो मध्य प्रदेश के भविष्य को नई दिशा देने का संकल्प है। अब यदि इन प्रावधानों का प्रभावी क्रियान्वयन होता है तो निश्चित ही राज्य ग्रामीण समृद्धि, महिला सशक्तिकरण, कृषि स्थिरता और शहरी आधुनिकीकरण के नए मुकाम हासिल कर सकता है। मोहन सरकार का यह बजट बताता है कि मध्य प्रदेश आज सिर्फ विकास की अपनी गति नहीं बढ़ाना चाहता है, वह इससे कहीं आगे विकास की दिशा भी बदलना चाहता है, जिसमें समानता, समावेशन और सतत प्रगति बराबर से समाहित हो।
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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. मयंक चतुर्वेदी