मप्र के इंदौर में दूषित पानी से दो और मौत, मृतकों की संख्या 10 हुई

31 Dec 2025 20:32:53
मुख्यमंत्री ने इंदौर पहुंचकर पीड़ियों से की मुलाकात


मुख्यमंत्री ने इंदौर पहुंचकर पीड़ियों से की मुलाकात


- मुख्यमंत्री ने इंदौर पहुंचकर पीड़ियों से की मुलाकात

इंदौर, 31 दिसंबर (हि.स.)। मध्य प्रदेश के इंदौर शहर के भागीरथपुरा इलाके में दूषित पानी से हुई मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। यहां बुधवार को दो और पीड़ितों की मौत हो गई। इनमें पांच माह का एक बच्चा और एक बुजुर्ग शामिल है। इसके बाद इंदौर में दूषित पानी पीने से मरने वालों की संख्या 10 हो गई है। वहीं, अब भी 150 से ज्यादा लोग अस्पतालों में भर्ती हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए बुधवार शाम डॉ. मोहन यादव इंदौर पहुंचे। यहां अलग-अलग अस्पताल जाकर बीमार लोगों से मुलाकात की।

इससे पहले इंदौर में मंगलवार देर रात तक 8 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी थी। इनमें नंदलाल पाल (75), उर्मिला यादव (69), उमा कोरी (31), मंजुला पति दिगंबर (74) और सीमा प्रजापत (50), गोमती रावत (50), उमा कोरी (31), संतोष बिगोलिया शामिल हैं। बुधवार को भागीरथपुरा में पांच माह के अव्यान साहू ने दम तोड़ा। अव्यान की मां का कहना है कि सरकार बच्चों की मौत क्यों नहीं बताती। निश्चित तौर पर और भी बच्चे दूषित पानी का शिकार हुए होंगे। परिजन के मुताबिक, 5 माह के अव्यान को बाहरी दूध पिलाया जाता था। इसमें पानी मिला होता था। इसके अलावा एक बुजुर्ग की भी मौत हुई है। बुधवार को भी बस्ती में 100 से ज्यादा स्थानों पर पानी के सेंपल लिए गए और जांच के लिए भेजे। सुबह बस्ती में पानी की सप्लाई की गई, लेकिन ज्यादातर लोगों ने नलों के पानी का सेवन पीने के लिए नहीं किया। टैंकरों से भी बस्ती में सप्लाई होती रही।स्वास्थ्य विभाग के अनुसार अब तक 1100 मरीजों का इलाज किया जा चुका है।

हाईकोर्ट ने सरकारी से मांगी स्टेटस रिपोर्ट

भागीरथपुरा में दूषित पानी पीने से दस लोगों की मौत के मामले में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ में बुधवार को दो जनहित याचिकाएं दायर की गई थीं। इन याचिकाओं पर सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार और जिला प्रशासन से दो जनवरी तक स्टेटस रिपोर्ट मांगी है।

मामले में जनहित याचिका वकील रितेश इनानी ने दायर की है। एक अन्य याचिका पूर्व पार्षद महेश गर्ग और प्रमोद द्विवेदी ने दायर की है। एडवोकेट याचिका में इसमें दोषी अफसर के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज करने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि आम आदमी की जान के साथ अफसरों ने लापरवाही की। मामले के दोषियों को दंडित किया जाना चाहिए।कोर्ट ने सरकार से इस मामले की 2 जनवरी तक स्टेटस रिपोर्ट पेश करने को कहा है। एडवोकेट इनानी ने बताया कि कोर्ट ने पीड़ितों का निशुल्क इलाज करने के निर्देश भी दिए हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर

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