शोध में फिर सामने आया सूक्ष्म प्लास्टिक कण स्वास्थ्य को पहुंचा सकते गंभीर नुकसान

युगवार्ता    04-Dec-2025
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पंकज जगन्नाथ जयस्वाल


नई दिल्ली, 04 दिसंबर (हि.स.)। प्लास्टिक की बोतल के हानिकारक प्रभाव एक बार फिर सामने आए हैं। एक शोध में सामने आया है कि एकल उपयोग प्लास्टिक की बोतलों से निकले छोटे-छोटे प्लास्टिक के कण हमारे शरीर की महत्वपूर्ण प्रणालियों को प्रभावित कर हमारे स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं।

नैनो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएनएसटी), मोहाली की टीम ने एक शोध में पाया है कि एक बार इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक (पीईटी) की बोतलों से बनें अति-सूक्ष्म प्लास्टिक कण व्यक्ति के शरीर के लिए फायदेमंद सूक्ष्म जीवों और कोशिकाओं को गंभीर हानि पहुंचा सकते हैंं।

नैनो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएनएसटी), मोहाली विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय (डीएसटी) के तहत एक स्वायत्त संस्थान है। इसकी टीम ने एक शोध में पाया की सूक्ष्म प्लास्टिक शरीर में पहुंचकर पेट के लिए फायदेमंद आंत के सूक्ष्मजीवों को प्रभावित करते हैं। यह सूक्ष्मजीव हमारी इम्यूनिटी, मेटाबॉलिज्म और यहाँ तक कि मानसिक सेहत को भी संभालते हैं।

वैज्ञानिकों ने शोध से यह समझा कि इन सूक्ष्म जीवों के अति-सूक्ष्म प्लास्टिक के संपर्क में आने से क्या होता है। उन्होंने लैब में पीईटी बोतलों से अति- सूक्ष्म प्लास्टिक बनाई और उन्हें एक फायदेमंद जीवाणु 'लैक्टोबैसिलस रैम्नोसस' पर टेस्ट किया। शोधकर्ताओं ने पाया कि लंबे समय तक संपर्क में रहने से जीवाणुओं की वृद्धि और सुरक्षात्मक कार्य कम हो गए, जबकि तनाव प्रतिक्रियाएं और एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति संवेदनशीलता बढ़ गई।

उन्होंने बताया कि ये सूक्ष्म प्लास्टिक हमारी पेट की सेहत को सीधा नुकसान पहुँचा रहे हैं और साथ ही ज़्यादा मात्रा में खून की कोशिकाओं की झिल्ली को भी खराब कर दिया। इसके अलावा, सूक्ष्म प्लास्टिक डीएनए को भी नुकसान पहुँचा रहा है।

लाल रक्त कोशिकाओं पर प्रभाव की भी जाँच की गई। बड़ी संख्या में नैनोप्लास्टिक ने कोशिका झिल्लियों को क्षतिग्रस्त कर दिया और रक्तसंश्लेषण में परिवर्तन उत्पन्न कर दिए। सामान्य कोशिकीय प्रतिक्रियाओं को दर्शाने के लिए भी अध्ययन किया गया। यहाँ, लंबे समय तक संपर्क के कारण डीएनए क्षति, ऑक्सीडेटिव तनाव, एपोप्टोसिस और सूजन संबंधी संकेतन के साथ-साथ ऊर्जा और पोषक तत्वों के चयापचय में भी बदलाव हुए।

इस शोध से यह स्पष्ट हो गया है कि रोज़ाना इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक से बने ये सूक्ष्म प्लास्टिक सिर्फ कचरा नहीं हैं, बल्कि ये 'बायोलॉजिकली एक्टिव पार्टिकल' हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रद्धा द्विवेदी

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