सूरत के टेक्सटाइल उद्योग को 200 करोड़ का लगा झटका, भारत में ‘दित्वा’ तूफान से व्यापारियों की हालत बदतर

05 Dec 2025 17:36:01
सूरत कपड़ा बाजार


सूरत, 85 दिसंबर (हि.स.)। दक्षिण भारत में आए चक्रवाती तूफान दित्वा ने गुजरात, सूरत के तेजी से बढ़ते टेक्सटाइल उद्योग को एक और बड़ा झटका दिया है। इसके कारण चेन्नई और तमिलनाडु के तटीय इलाकों में भारी बारिश और बाढ़ जैसी स्थिति बन जाने से वहां की प्रमुख कपड़ा मंडियां पूरी तरह ठप हो गई हैं।

इसके चलते पोंगल के बड़े त्योहार के सीजन में सूरत से करोड़ों का माल भेजने वाले करीब 7–8 हजार व्यापारी सीधी मार झेल रहे हैं। अगर हालात वहां पर जल्द सामान्य नहीं हुए, तो उद्योग को करीब 200 करोड़ रुपये तक के नुकसान का अनुमान है। एक व्यापारी ने कहा कि इस बार पोंगल के 1000 करोड़ के कारोबार पर संकट मंडरा रहा है।

पोंगल के 1000 करोड़ के व्यापार पर संकट !

पोंगल पर्व दक्षिण भारत में सबसे बड़ी पारंपरिक खरीदारी का सीजन माना जाता है। यह सीजन आमतौर पर 15 नवंबर से शुरू होता है और दिसंबर इसका पीक समय होता है। आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक में सूरत की साड़ियाँ, सूटिंग-शर्टिंग, ड्रेस मटीरियल और फैंसी फैब्रिक की भारी मांग रहती है।

इस वर्ष उद्योग जगत को 800 से 1000 करोड़ के व्यापार की उम्मीद थी। पिछले वर्ष यह कारोबार लगभग 900 करोड़ तक पहुंचा था,

लेकिन दितवा तूफान के कारण सीजन की शुरुआत में ही परिस्थिति इतनी बिगड़ गई है कि अगर एक सप्ताह में दक्षिण भारत में हालात सुधरे नहीं, तो कुल व्यापार 20–30 फीसद तक प्रभावित हो सकता है, जो 200 करोड़ रुपये या उससे अधिक के नुकसान का संकेत है।

सप्लाई चेन टूटी, माल बाजार तक नहीं पहुंच पा रहा

तूफान के कारण सूरत से दक्षिण भारत तक की सप्लाई चेन पूरी तरह चरमरा गई है। व्यापारियों का कहना है कि न तो परिवहन व्यवस्था सुचारू है और न ही वहां की स्थानीय मंडियां खुल पा रही हैं।

फेडरेशन ऑफ सूरत टेक्सटाइल ट्रेडर्स एसोसिएशन (फोस्टा) के प्रमुख कैलाश हाकिम के अनुसार पोंगल एक निश्चित तारीख वाला त्योहार है, अगर बाजार समय पर नहीं खुलेंगे तो खरीदारी की मांग कम हो जाएगी और व्यापारियों का तैयार माल स्टॉक में ही पड़ा रह जाएगा। सूरत के कुल टेक्सटाइल कारोबार का लगभग 30–35 फीसद हिस्सा दक्षिण भारतीय बाजारों पर निर्भर है। अनुमान है कि लगभग 150-200 करोड़ का नुकसान हुआ है।

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हिन्दुस्थान समाचार / यजुवेंद्र दुबे

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