एनएमडीसी ने साइबर सिक्योरिटी को मजबूत करने को आईआईटी कानपुर के साथ किया समझौता

युगवार्ता    06-Dec-2025
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एनएमडीसी और आईआईटी कानपुर के बीच समझौता का जारी फोटो


नई दिल्‍ली, 06 दिसंबर (हि.स)। देश के सबसे बड़े लौह अयस्क उत्पादक नेशनल मिनरल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (एनएमडीसी) ने साइबर सुरक्षा को मजबूत करने और डिजिटल प्रौद्योगिकियों को आगे बढ़ाने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।

इस्‍पात मंत्रालय ने शनिवार को एक बयान में बताया कि उद्योग-शैक्षणिक सहयोग को मजबूत बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए एनएमडीसी ने आईआईटी कानपुर के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं। इस पहल के तहत एनएमडीसी के प्रचालनों में साइबर सुरक्षा के क्षेत्रों में नई पहल की सुविधा प्रदान करने और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग सहित आधुनिक डिजिटल प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा दिया जाएगा।

मंत्रालय के अनुसार इस समझौता ज्ञापन पर एनएमडीसी की ओर से सत्येंद्र राय, अधिशासी निदेशक (डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन) और प्रोफेसर अशोक डे, डीन, आरएंडडी, आईआईटी कानपुर ने प्रो. मनिंद्र अग्रवाल, निदेशक, आईआईटी कानपुर, एनएमडीसी के वरिष्ठ अधिकारियों और आईआईटी कानपुर के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए हैं। इस साझेदारी के जरिए एनएमडीसी साइबर सुरक्षा जोखिम आकलन; नीति, शासन और अनुपालन समर्थन; आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग एकीकरण और उन्नयन; सुरक्षा संचालन और घटना प्रतिक्रिया; क्षमता निर्माण और ज्ञान साझा करना; और संयुक्त अनुसंधान और नवाचार जैसे प्रमुख क्षेत्रों में आईआईटी कानपुर के साथ काम करेगा।

एनएमडीसी के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक अमिताभ मुखर्जी ने इस साझेदारी पर अपने संबोधन में कहा, यह समझौता ज्ञापन एनएमडीसी के व्यापक परिचालन पारिस्थितिकी तंत्र में आईआईटी कानपुर की उन्नत अनुसंधान क्षमताओं को समाहित करेगा। यह सहयोग हमें अपनी डिजिटल सुरक्षा को मजबूत करने, परिचालन इंटेलिजेंस में सुधार करने और एनएमडीसी के लिए एक सुरक्षित और भविष्य के अनुरूप तकनीकी आधार बनाने में मदद करेगा।”

इस्‍पात मंत्रालय ने कहा कि यह समझौता ज्ञापन डिजिटल रूप से मजबूत और भविष्य के लिए तैयार खनन संगठन बनने की एनएमडीसी की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इसके अतिरिक्त, एनएमडीसी और आईआईटी कानपुर संयुक्त रूप से प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करेंगे, अनुसंधान गतिविधियां करेंगे, पायलट परियोजनाएं चलाएंगे और प्रूफ-ऑफ-कॉन्सेप्ट समाधान का सामूहिक रूप से विकास करेंगे।

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हिन्दुस्थान समाचार / प्रजेश शंकर

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