दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-देहरादून जैसे प्रोजेक्ट से बदलेगा ट्रांसपोर्ट सिस्टम : गडकरी

08 Dec 2025 21:28:01
नितिन गडकरी


नई दिल्ली, 08 दिसंबर (हि.स.)। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि सरकार इस समय दिल्ली-देहरादून और दिल्ली-मुंबई जैसे बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट पर काम कर रही है, जिससे देश की लॉजिस्टिक लागत में बड़ी कमी आएगी। एक समय यह लागत 16 प्रतिशत तक पहुंच गई थी, जबकि चीन में यह 8 प्रतिशत और यूरोप के कई देशों में करीब 12 प्रतिशत है। अगर भारत को निर्यात के क्षेत्र में आगे बढ़ना है तो लॉजिस्टिक कॉस्ट को घटाना ही होगा। इसी दिशा में सरकार बायो-फ्यूल जैसे विकल्पों पर भी तेजी से काम कर रही है।

नितिन गडकरी ने एक टीवी कार्यक्रम में बातचीत के दौरान कहा कि सोशल मीडिया पर अक्सर खराब सड़कों के साथ उनकी तस्वीरें लगाई जाती हैं, लेकिन जांच करने पर सामने आता है कि उनमें से अधिकांश सड़कें राज्य सरकार के अधीन होती हैं, न कि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अंतर्गत। सरकार शहरी क्षेत्रों में ट्रैफिक की समस्या को देखते हुए अर्बन डीकंजेशन पर गंभीरता से काम कर रही है। इसके तहत एक ही पिलर पर फ्लाईओवर और मेट्रो चलाने की योजना पर काम हो रहा है। दिल्ली जैसे महानगरों में लोग ऊंची-ऊंची इमारतें तो बना लेते हैं, लेकिन वाहन सड़कों पर खड़े कर देते हैं, जिससे जाम की समस्या और गंभीर हो जाती है। ऐसे में आम लोगों के सहयोग की भी जरूरत है।

गडकरी ने कहा कि अगले एक साल के भीतर देशभर में 850 से 900 टोल प्लाजा को बैरियर-फ्री किया जाएगा। इसके तहत एक्सप्रेसवे पर चढ़ते समय वाहन की नंबर प्लेट कैमरे से दर्ज होगी और उतरते समय उसी दूरी के हिसाब से टोल शुल्क अपने-आप कट जाएगा। इससे यात्रियों को टोल नाकों पर रुकने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

उन्होंने कहा कि पहले निर्माण में देरी की दर काफी ज्यादा हुआ करती थी, लेकिन अब इसे घटाकर लगभग 20 प्रतिशत तक लाया गया है। जब तक किसी परियोजना के लिए 90 प्रतिशत जमीन का अधिग्रहण और पजेशन नहीं मिल जाता, तब तक निर्माण की तारीख तय नहीं की जाती। इसके लिए सरकार ने कानून और सिस्टम में कई अहम सुधार किए हैं। कई बार अतिक्रमण, वन भूमि की मंजूरी और रेलवे से जुड़े क्लियरेंस राज्य सरकार या संबंधित विभागों से मिलने में देर हो जाती है, जिससे परियोजनाओं की रफ्तार प्रभावित होती है।

गडकरी ने 2014 का जिक्र करते हुए बताया कि जब उन्होंने मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली थी, उस समय लगभग 3 लाख 85 हजार करोड़ रुपये के 406 प्रोजेक्ट बंद पड़े हुए थे। सरकार ने प्रयास कर इन परियोजनाओं में से अधिकांश को दोबारा शुरू किया और साथ ही भारतीय बैंकों को करीब 3 लाख करोड़ रुपये के एनपीए के खतरे से भी बचाया गया। करीब 40 हजार करोड़ रुपये के ऐसे प्रोजेक्ट भी टर्मिनेट किए गए, जिनका आगे चलना संभव नहीं था। मंत्री ने कहा कि सरकार द्वारा किए गए हर बड़े प्रोजेक्ट पर एक-एक किताब लिखी जा सकती है।

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हिन्दुस्थान समाचार / प्रशांत शेखर

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