
नई दिल्ली, 8 दिसंबर (हि.स.)। भारत और ऑस्ट्रेलिया ने कौशल विकास, कार्यबल गतिशीलता और खेल अर्थव्यवस्था में सहयोग को नई दिशा देने पर जोर देते हुए जताते हुए कौशल मानकों के सामंजस्य और पेशेवरों की आवाजाही को आसान बनाने पर सहमति व्यक्त की है। दोनों देशों ने योग्यताओं की मान्यता, उन्नत निर्माण क्षेत्र में ग्लोबल स्टैंडर्ड तैयार करने और खेल आधारित उद्योग में उभरते अवसरों को साझा रूप से विकसित करने पर बुई चर्चा की।
राजधानी दिल्ली में आयोजित तीसरी ऑस्ट्रेलिया–इंडिया एजुकेशन एंड स्किल्स काउंसिल की बैठक में कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जयंत चौधरी और ऑस्ट्रेलिया के कौशल एवं ट्रेनिंग मंत्री एंड्रयू जाइल्स की मौजूदगी में कौशल विकास, वर्कफोर्स मोबिलिटी, खेल अर्थव्यवस्था और भविष्य उन्मुख तकनीकी कौशलों पर विस्तृत बातचीत हुई।
चर्चा के दौरान दोनों पक्षों ने भारत–ऑस्ट्रेलिया संबंधों में आई प्रगति को रेखांकित किया और इस गति को कौशल आधारित पेशों की सुगम आवाजाही में बदलने की जरूरत पर बल दिया। योग्यताओं की पारस्परिक मान्यता को लागू करने और कौशलों के अनुरूप ब्रिज कोर्स संयुक्त रूप से तैयार करने पर सहमति बनी। उन्नत निर्माण क्षेत्र में मांग को देखते हुए वैश्विक मानकों के अनुरूप कुशल कार्यबल तैयार करने को प्राथमिकता दी गई, क्योंकि ऑस्ट्रेलिया में आगामी खेल आयोजनों के कारण निर्माण गतिविधि तेजी से बढ़ रही है।
भारत की 2030 कॉमनवेल्थ गेम्स बोली और ऑस्ट्रेलिया में 2032 ब्रिस्बेन ओलंपिक व पैरालंपिक की तैयारियों से पैदा हो रहे अवसरों पर भी विस्तार से विचार हुआ। दोनों देशों ने माना कि खेल और शारीरिक कल्याण आधारित उद्योग एक उभरता हुआ क्षेत्र है, जो भारत की जीडीपी में लगभग 2 प्रतिशत तक योगदान देने की क्षमता रखता है। भारत के खेल निर्माण और गिग इकॉनमी क्षेत्र को ऑस्ट्रेलिया की खेल प्रबंधन और तकनीकी विशेषज्ञता का स्वाभाविक पूरक बताया गया।
भारत के आईटीआई, राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थान और ऑस्ट्रेलिया के टीईएफई नेटवर्क के बीच सहयोग बढ़ाने का प्रस्ताव भी रखा गया। खनन, डिजिटल और आईटी, हॉस्पिटैलिटी, हरित रोजगार, नवीकरणीय ऊर्जा और लॉजिस्टिक्स जैसे कई क्षेत्रों में संयुक्त कार्य की रूपरेखा पर सहमति बनी।
जयंत चौधरी ने बैठक में कहा कि भारत भविष्य उन्मुख कौशलों के विकास के लिये प्रतिबद्ध है और स्किलिंग फॉर एआई रेडीनेस पहल इसी सोच का हिस्सा है। उन्होंने डिजिटल तकनीकों के नैतिक उपयोग और उच्च गुणवत्ता वाली वर्कफोर्स मोबिलिटी की आवश्यकता पर जोर दिया। चौधरी ने भारत और ऑस्ट्रेलिया में बारी-बारी से एक वार्षिक कौशल सम्मेलन आयोजित करने का सुझाव भी दिया, जिससे दोनों देशों के कौशल मानक और प्रशिक्षण ढांचे में सामंजस्य बढ़ सके।
एंड्रयू जाइल्स ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया भारत को अपनी सबसे महत्वपूर्ण साझेदारियों में से एक मानता है। वैश्विक खेल आयोजनों और बदलते आर्थिक अवसरों के बीच कौशल सहयोग दोनों देशों के साझा विकास में अहम भूमिका निभाएगा।
बैठक में कौशल विकास मंत्रालय, डीजीटी, एनसीवीईटी, एनएसडीसी और ऑस्ट्रेलिया के शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। सत्र का समापन इस सहमति के साथ हुआ कि दोनों देश कौशल प्रशिक्षण की गुणवत्ता, वैश्विक मोबिलिटी और भविष्य के लिये तैयार कार्यबल निर्माण में तेज गति से सहयोग जारी रखेंगे।
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हिन्दुस्थान समाचार / प्रशांत शेखर