नई दिल्ली, 7 मार्च (हि.स.)। केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के नमामि गंगे प्रोजेक्ट को लेकर उठाए गए सवाल पर कहा कि गंगा के कायाकल्प में इस प्रोजेक्ट की सफलता को वैश्विक स्तर पर मान्यता मिल रही है। दिसंबर 2022 में पारिस्थितिकी तंत्र बहाली पर संयुक्त राष्ट्र दशक ने इसे शीर्ष 10 विश्व बहाली प्रमुख पहलों में से एक के रूप में मान्यता दी। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय जल संघ ने राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) को जलवायु स्मार्ट उपयोगिता की उपाधि से सम्मानित किया, जिससे स्थायी जल प्रबंधन के लिए कार्यक्रम की प्रतिबद्धता और मजबूत हुई।
खरगे ने एक्स पोस्ट में कहा था कि नमामि गंगे प्रोजेक्ट के लिए आवंटित फंड का 55 प्रतिशत भी खर्च नहीं किया गया। इस पर जलशक्ति मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि 2014 में शुरू किया गया नमामि गंगे कार्यक्रम गंगा नदी के स्वास्थ्य को बहाल करने के लिए अब तक की सबसे महत्वाकांक्षी और समग्र पहलों में से एक है। इसका बहुआयामी दृष्टिकोण प्रदूषण निवारण, पारिस्थितिकी बहाली, क्षमता निर्माण और सामुदायिक सहभागिता को एकीकृत करता है, जिसमें नदी की पर्यावरणीय अखंडता और उस पर निर्भर लाखों लोगों की आजीविका दोनों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
बयान में कहा गया है कि वर्ष 2014-15 से 2023-24 की अवधि के लिए 20,424.82 करोड़ रुपये के उपलब्ध संसाधनों के मुकाबले एनएमसीजी ने 16,648.49 करोड़ रुपये वितरित किए हैं, जो बजटीय प्रावधानों का 82 प्रतिशत है। यह ध्यान देने योग्य है कि कार्यक्रम के 42,500 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय को तत्काल व्यय लक्ष्य (नकद व्यय) के रूप में नहीं माना जाना चाहिए, बल्कि यह एक स्वीकृत 17 वर्ष के जीवन चक्र के साथ प्रदूषण निवारण अवसंरचना के लिए वर्तमान व्यय और भविष्य की प्रतिबद्धताएं (वार्षिकी भुगतान / संचालन और रखरखाव व्यय) शामिल हैं। निर्मित एसटीपी के जिम्मेदार संचालन और रखरखाव को सुनिश्चित करने के लिए हाइब्रिड वार्षिकी मॉडल को एक अभिनव दृष्टिकोण के रूप में अपनाया गया था, जिसके परिणामस्वरूप पूंजीगत व्यय का संचालन और रखरखाव चरण के 15 वर्षों में विस्तार हुआ है।
मंत्रालय ने बताया कि नमामि गंगे प्रोजेक्ट ने प्रदूषण निवारण में महत्वपूर्ण प्रगति की है, जिससे 3,446 एमएलडी सीवेज उपचार क्षमता सृजित हुई है, जो 2014 से पहले की क्षमता से 30 गुना अधिक है। एनएमसीजी ने 7-8 वर्षों के भीतर 127 परियोजनाएं और 152 सीवेज उपचार संयंत्र पूरे किए हैं, जो गंगा नदी के प्राचीन गौरव को बहाल करने में उल्लेखनीय प्रगति दर्शाता है। सीजीएफ का उद्देश्य देश के निवासियों, एनआरआई और कॉरपोरेट्स सहित नागरिक समाज के सभी वर्गों से योगदान जुटाना है। सीजीएफ में योगदान देने वालों में से 95 प्रतिशत नागरिक हैं और शेष 5 प्रतिशत निजी कॉरपोरेट और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां हैं। सीजीएफ के तहत निधियों का उपयोग एनजीपी के तहत बजटीय व्यय के साथ-साथ अत्यंत वित्तीय विवेक के साथ कठोर मंजूरी प्रक्रिया से गुजरता है। सीजीएफ का उपयोग मुख्य रूप से अद्वितीय और हस्ताक्षर परियोजनाओं के लिए किया जाता है, जिनका राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के उद्देश्यों की प्राप्ति में महत्वपूर्ण योगदान है।
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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी