भारत में यूपीआई का प्रयोग सामान्य व्यवहार का हिस्सा बना: बीकन का सर्वे

युगवार्ता    19-Jun-2025
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नई दिल्ली, 19 जून (हि.स.)। भारत में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) का इस्तेमाल अब सामान्य व्यवहार का हिस्सा बन गया है। कनाडा में भारतीय प्रवासी समुदाय के लिए अग्रणी क्रॉस-बॉर्डर फिनटेक प्लेटफॉर्म बीकन की तरफ से यूपीआई उपयोग को लेकर किए गए सर्वे रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है।

यह रिपोर्ट कनाडा में बसे एनआरआई (अनिवासी भारतीयों) की भारत में अपने वित्तीय दायित्वों को निभाने के तरीके में हो रहे मूलभूत बदलावों को दर्शाती है।

बीकन के विश्लेषण में यह बात सामने आई है कि भारत में यूपीआई सामान्य व्यवहार का हिस्सा बन गया है। इसके बाद हाल ही में कनाडा आए एनआरआई भी उसी गति और सुविधा की उम्मीद करते हैं, जब वे भारत में अपने परिवार को पैसे भेजते हैं या खर्चों का प्रबंधन करते हैं। यहां तक कि लंबे समय से बसे एनआरआई भी अब यूपीआई का उपयोग करने लगे हैं क्योंकि भारत में उनके परिवारजन, मकान मालिक या सेवा प्रदाता अब खाता नंबर के बजाय यूपीआई आईडी मांगते हैं।

बीकन के सह-संस्थापक आदित्य म्हात्रे ने जारी बयान में कहा कि जब वे भारत से कनाडा गए तो खुद विदेश में वित्तीय प्रबंधन की चुनौतियों को अनुभव किया। एनआरआई द्वारा यूपीआई को अपनाना इस बात का स्पष्ट संकेत है कि अब एक पीढ़ीगत बदलाव हो रहा है जिसमें लोग वित्तीय स्वतंत्रता और डिजिटल-फर्स्ट व्यवहार को प्राथमिकता दे रहे हैं। हमारा प्लेटफॉर्म इस परिवर्तन को सक्षम बनाता है—यह कैनेडियन डॉलर से भारतीय रुपये में यूपीआई इन्फ्रास्ट्रक्चर के ज़रिए भुगतान को संभव बनाता है, जिससे पारंपरिक बैंकिंग की जटिलताएं समाप्त हो जाती हैं।

बीकन के अनुसार, कनाडा में 70 प्रतिशत से अधिक भारतीय छात्र क्रॉस-बॉर्डर लेनदेन के लिए मोबाइल-फर्स्ट फिनटेक प्लेटफॉर्म को प्राथमिकता देते हैं। भारतीय छात्र और एनआरआई कनाडा के सबसे अधिक डिजिटल रूप से सक्रिय और वित्तीय रूप से शामिल वर्गों में आते हैं, जिन्हें तेज़, लचीली और पारदर्शी सेवाओं की आवश्यकता होती है।

कनाडा में भारतीय मूल की आबादी 18.5 लाख से अधिक हो चुकी है, जो कुल जनसंख्या का 5.1 प्रतिशत है। भारत से कनाडा आने वाले स्थायी निवासियों की संख्या 2013 में जहां लगभग 33,000 थी, वहीं 2023 में यह बढ़कर 1.4 लाख हो गई—यानी 326 प्रतिशत की वृद्धि। केवल 2024 में ही भारत से आए नागरिक कनाडा के कुल नए नागरिकों का लगभग 23.4 प्रतिशत (87,800 लोग) रहे।

भारत को कनाडा से भेजी जाने वाली रेमिटेंस 2024 में लगभग 4 अरब डॉलर तक पहुंच गई है। यह वृद्धि ऐसे समय में हो रही है जब भारत लगातार 2024 में भी कुल 129.4 अरब डॉलर के साथ ग्लोबल रेमिटेंस का शीर्ष प्राप्तकर्ता बना हुआ है। अकेले यूपीआई ने 2024 में 172 अरब से अधिक लेनदेन किए—पिछले वर्ष की तुलना में 46 प्रतिशत अधिक—जो इसकी विश्वसनीयता और वास्तविक समय पर भुगतान की क्षमता को दर्शाता है।

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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी

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