नई दिल्ली, 30 जून (हि.स)। देश की सबसे बड़ी कर सुधार व्यवस्था माने जाने वाला वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) आठ साल पूरा करने के करीब है। एक जुलाई, 2017 को लागू हुए जीएसटी ने देश की कर प्रणाली को पूरी तरह बदल दिया है। वित्त वर्ष 2024-25 में जीएसटी कलेक्शन रिकॉर्ड 22.08 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 9.4 फीसदी की वृद्धि है।
सरकार की ओर से सोमवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2020-21 में यह 11.37 लाख करोड़ रुपये था। पिछले आठ वर्षों में जीएसटी के तहत पंजीकृत करदाताओं की संख्या 2017 में 65 लाख से बढ़कर 1.51 करोड़ से ज्यादा हो गई है। आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2023-24 और वित्त वर्ष 2022-23 में जीएसटी संग्रह 20.18 लाख करोड़ और वित्त वर्ष 2022-23 में 18.08 लाख रुपये करोड़ था। वित्त 2021-22 में कुल सकल जीएसटी संग्रह 11.37 लाख करोड़ रुपये रहा था, जबकि औसत मासिक जीएसटी संग्रह 95,000 करोड़ रुपये था। इसी तरह वित्त वर्ष 2024-25 में औसत मासिक जीएसटी संग्रह 1.84 लाख करोड़ रुपये रहा, जो वित्त वर्ष 2023-24 में 1.68 लाख करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2021-22 में 1.51 लाख करोड़ रुपये रहा था।
जीएसटी के वर्तमान स्ट्रक्चर में चार मुख्य स्लैब
जीएसटी के वर्तमान स्ट्रक्चर में चार मुख्य स्लैब 5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी हैं। ये दरें देशभर में अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं पर लागू होती हैं। हालांकि, मुख्य स्लैब के अलावा, तीन विशेष दरें भी तय की गई हैं। सोना, चांदी, हीरा और आभूषण पर जीएसटी की 3 फीसदी, कटे एवं पॉलिश किए गए हीरे पर 1.5 फीसदी और कच्चे हीरे पर 0.25 फीसदी दरें लगती है।
जीएसटी ने करीब 17 स्थानीय करों और 13 उपकरों को पांच स्तरीय ढांचे में समाहित कर दिया है, जिससे कर व्यवस्था सरल हो गई। अप्रैल 2025 में मासिक जीएसटी संग्रह 2.37 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया था। मई 2025 में यह 2.01 लाख करोड़ रुपये था। जून के आंकड़े मंगलवार, (1 जुलाई, 2025) को जारी किए जाएंगे।
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हिन्दुस्थान समाचार / प्रजेश शंकर