फ्नॉम पेन्ह, 30 जून (हि.स.)। कंबोडिया में सोमवार को लानचांग-मेकांग उन्नत खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत हुई। यह एक वर्षीय अनुसंधान परियोजना ग्रेटर मेकांग सबरीजन (जीएमएस) के देशों में खाद्य सुरक्षा नीतियों को सुदृढ़ बनाने के उद्देश्य से शुरू की गई है।
कंबोडिया की नेशनल असेंबली की विदेश मामलों, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और सूचना संबंधी आयोग के अध्यक्ष सूओस यारा ने कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कहा, “यह परियोजना सही समय पर शुरू की गई एक महत्वपूर्ण पहल है, जो मेकांग क्षेत्र की समृद्ध प्राकृतिक संपदाओं, जैव विविधता और सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के साथ 33 करोड़ से अधिक लोगों की भलाई से जुड़ी है।”
सूओस यारा ने कहा कि अब खाद्य सुरक्षा एक पृथक विषय नहीं रह गया है, बल्कि यह जल सुरक्षा, पर्यावरणीय स्थिरता, ऊर्जा, स्वास्थ्य, सांस्कृतिक मूल्यों और सामाजिक लचीलापन जैसे विविध पहलुओं से जुड़ गया है। उन्होंने कहा कि कंबोडिया, लाओस और वियतनाम के नदी आधारित ग्रामीण समुदाय खाद्य नुकसान, फसलोत्तर अक्षमताओं और जलवायु परिवर्तन की मार जैसी चुनौतियों से जूझ रहे हैं।
एशियन विजन इंस्टिट्यूट के अध्यक्ष छेंग किमलोंग ने कहा कि यह परियोजना दो प्रमुख घटकों पर केंद्रित है। पहला है खाद्य नुकसान प्रबंधन और दूसरा खाद्य-आधारित सामुदायिक ईकोटूरिज्म है। उन्होंने कहा कि “हमारा उद्देश्य सिर्फ तात्कालिक समस्याओं का समाधान नहीं, बल्कि दीर्घकालिक नीति निर्माण के लिए ठोस आंकड़ों, विश्लेषण और स्थानीय भागीदारी को बढ़ावा देना है।”
उल्लेखनीय है कि यह परियोजना लानचांग-मेकांग सहयोग (एलएमसी) स्पेशल फंड के आर्थिक सहयोग से संचालित की जा रही है, जिसे चीन द्वारा 2016 में शुरू किया गया था। परियोजना का उद्देश्य खाद्य नुकसान को कम करना, आजीविका को विविध बनाना और स्थानीय समुदायों की क्षमता को बढ़ावा देना है। इस परियोजना को क्षेत्रीय सहयोग, स्थिरता और सतत विकास के लिए एक व्यावहारिक मॉडल के रूप में देखा जा रहा है। लानचांग-मेकांग नदी तंत्र दक्षिण-पूर्व एशिया की जीवनरेखा मानी जाती है, और इसमें निवेश नीति व अनुसंधान के माध्यम से व्यापक प्रभाव डाला जा सकता है।
---------------
हिन्दुस्थान समाचार / आकाश कुमार राय