मुम्बई, 23 जुलाई (हि.स.)। प्रसिद्ध नाटककार और रंगमंच निर्देशक रतन थियम का निधन हो गया। उन्हें बीती मध्य रात लगभग 1:30 बजे इम्फाल स्थित रिम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली। भारतीय रंगमंच को नई पहचान देने वाले रतन थियम ने अपने करियर में कई ऐतिहासिक नाटकों का निर्देशन किया और भारतीय थिएटर को वैश्विक मंच पर सम्मान दिलाया। उनके निधन से थिएटर जगत में शोक की लहर है। कलाकारों और रंगकर्मियों का कहना है कि रतन थियम के जाने से मंच ने एक अनमोल रत्न खो दिया है।
गीतकार और प्लेबैक सिंगर स्वानंद किरकिरे सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, ''भारतीय रंगमंच के जादूगर- रतन थियम साहब! आपका जाना भारतीय रंगमंच के लिए बहुत बड़ी क्षति है। पराकोटि का सौंदर्य बोध! भारतीयता - मणिपुर की संस्कृति में गहरे उतरी हुई आपकी जड़ों को साथ ले कर नितांत आधुनिक रंगमंच के रचयिता थियम साहब आप के रंगमंच का विश्व में कोई सानी नहीं! अलविदा सर।''
रतन थियम ने भारतीय रंगमंच की प्राचीन परंपरा को आधुनिक संदर्भ में जीवंत करते हुए नई दिशा दी। उन्होंने केवल नाट्य लेखन तक खुद को सीमित नहीं रखा, बल्कि रंगमंच के गहन विचार और दर्शन को भी मंच पर उतारा। 1987 से 1989 के बीच उन्होंने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) में कई प्रभावशाली नाटकों का निर्देशन किया। इसके बाद 2013 से 2017 तक वे एनएसडी के अध्यक्ष पद पर भी रहे और संस्थान को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उनके योगदान को कई सम्मान भी मिले। 1987 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार प्रदान किया गया और 1989 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया।
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में अपने कार्यकाल के दौरान रतन थियम ने कई यादगार और ऐतिहासिक नाटकों का निर्देशन किया। उनके द्वारा मंचित नाटक ‘अंधायुग’, ‘चक्रव्यूह’, ‘कर्णभारम’, ‘ऋतुसंहारम’ और ‘लेंगशोणि’ आज भी रंगमंच प्रेमियों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उनकी रचनात्मकता और मंच पर किए गए प्रयोगों ने भारतीय थिएटर को नई दृष्टि दी। रतन थियम के निधन से थिएटर जगत में शोक की लहर है। कलाकारों, रंगकर्मियों और नाट्य प्रेमियों ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की है।
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हिन्दुस्थान समाचार / लोकेश चंद्र दुबे