पाकिस्तान के लिए खतरे की घंटी, टीटीपी के साथ आए अफगान आतंकी

23 Sep 2025 13:01:31
इस्लामाबाद की नाक में दम कर रखा है प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने।


इस्लामाबाद, 23 सितंबर (हि.स.)। पाकिस्तान के अधिकारियों को पुख्ता सबूत मिले हैं कि प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के हाल ही में किए गए हमलों में शामिल 70 प्रतिशत आतंकवादी अफगान नागरिक थे। यह पिछले वर्षों में दर्ज पांच-10 प्रतिशत की तुलना में काफी ज्यादा है।

द एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से यह चौंकाने वाला खुलासा किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, यह रहस्योद्घाटन हाल ही में दुशांबे में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की अफगानिस्तान पर एक बंद कमरे में हुई बैठक में अफगानिस्तान मामलों पर पाकिस्तान के विशेष प्रतिनिधि राजदूत मोहम्मद सादिक ने किया। इस पर ईरान के प्रतिनिधि ने अपना दृष्टिकोण साझा किया और कहा कि उनका देश भी इसी तरह की समस्या का सामना कर रहा है। ईरानी प्रतिनिधि ने चाबहार बंदरगाह पर हुए हमले का हवाला दिया, जहां 18 हमलावरों में से 16 अफगान नागरिक थे।

आतंकवादी हमलों में अफगान आतंकी नागरिकों की बढ़ती संलिप्तता ने इस्लामाबाद में खतरे की घंटी बजा दी है। अधिकारी अब सीमा पार आतंकवाद में अफगानिस्तान की बढ़ती उपस्थिति को एक नए और खतरनाक चलन के रूप में देख रहे हैं। अधिकारियों को डर है कि यह सिलसिला नहीं रुका तो इस्लामाबाद और काबुल के बीच पहले से ही तनावपूर्ण संबंध और बिगड़ सकते हैं।

पाकिस्तान लंबे समय से अफगान तालिबान पर टीटीपी नेताओं और लड़ाकों को पनाह देने का आरोप लगाता रहा है। हालांकि तालिबान ने सार्वजनिक रूप से इस समूह को खुली छूट देने से इनकार किया है, लेकिन इस्लामाबाद जोर देकर कहता है कि अफगानिस्तान में टीटीपी के सुरक्षित ठिकाने बरकरार हैं। खैबर-पख्तूनख्वा में कई घातक हमलों के बाद हाल के हफ्तों में तनाव और बढ़ गया है। इन हमलों को पाकिस्तान ने सीधे तौर पर अफगानिस्तान से सक्रिय आतंकवादियों से जोड़ा है। बढ़ती चिंता के संकेत के रूप में पाकिस्तान अब तालिबान शासन पर दबाव बनाने के लिए क्षेत्रीय हितधारकों के साथ कूटनीतिक संपर्क बढ़ा रहा है। सूत्रों ने पुष्टि की है कि अफगानिस्तान में पाकिस्तान के विशेष दूत राजदूत मोहम्मद सादिक इस मामले पर चर्चा करने के लिए जल्द ही तेहरान और मॉस्को की यात्रा करेंगे।

यह संपर्क इस्लामाबाद की उस रणनीति को दर्शाता है जिसमें वह तालिबान को टीटीपी के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने को लेकर प्रेरित करने के लिए व्यापक क्षेत्रीय सहमति बनाने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान की तरह, ईरान और रूस दोनों ही अफगानिस्तान के नाज़ुक सुरक्षा परिदृश्य का फायदा उठाने वाले आतंकी समूहों से चिंतित हैं। पाकिस्तान के अधिकारियों का मानना ​​है कि अगर तालिबान ठोस कदम नहीं उठाता तो यह प्रवृत्ति द्विपक्षीय संबंधों में एक बड़े विवाद का कारण बन सकती है।

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हिन्दुस्थान समाचार / मुकुंद

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