वायु सेना के 97 एलसीए मार्क-1ए लड़ाकू विमानों का एचएएल को दिया गया आर्डर

25 Sep 2025 15:42:31
एलसीए मार्क-1ए लड़ाकू विमानों के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर करते अधिकारी


- रक्षा मंत्रालय ने एचएएल के साथ 62,370 करोड़ रुपये के अनुबंध पर किये हस्ताक्षर

नई दिल्ली, 25 सितंबर (हि.स.)। लंबे इंतजार के बाद केंद्र सरकार ने गुरुवार को भारतीय वायु सेना के लिए 97 एलसीए मार्क-1ए लड़ाकू विमानों का ऑर्डर हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को दे दिया। यह अनुबंध 62,370 करोड़ रुपये का हुआ है, जिससे 68 लड़ाकू और 29 ट्विन सीटर विमान खरीदे जाएंंगे। यह स्वदेशी सैन्य हार्डवेयर के लिए सबसे बड़ा ऑर्डर है, क्योंकि 83 एलसीए मार्क-1ए के लिए पिछला ऑर्डर 48 हजार करोड़ रुपये का था।

रक्षा मंत्रालय ने आज नई दिल्ली में भारतीय वायु सेना के लिए 97 एलसीए एमके-1ए विमानों और संबंधित उपकरणों के लिए एचएएल के साथ 62,370 करोड़ रुपये के एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। इस सौदे के तहत 68 लड़ाकू और 29 दो सीटों वाले विमान खरीदे जाएंगे। अपग्रेड किये गए एलसीए एमके-1ए में उत्तम एईएसए रडार, स्वयं रक्षा कवच और कंट्रोल एक्ट्यूएटर्स, 64 फीसदी से अधिक स्वदेशी सामग्री और 67 नए स्वदेशी उपकरण शामिल होंगे। यह परियोजना छह वर्षों में प्रति वर्ष 11,750 रोजगार सृजित करेगी। 2027-28 में इन विमानों की आपूर्ति शुरू हो जाएगी, जिससे भारतीय वायु सेना की क्षमता, आत्मनिर्भर भारत और भारत की रक्षा तैयारियों को बल मिलेगा।

भारतीय वायु सेना के लिए 83 तेजस मार्क-1ए फाइटर जेट के सौदे पर 03 फरवरी 2021 को बेंगलुरु में एयरो इंडिया के दौरान हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ हस्ताक्षर हुए थे। इनमें 73 लड़ाकू विमान और 10 ट्रेनर विमान होंगे। वायु सेना को इसी सौदे का पहला ट्विन-सीटर ट्रेनर पिछले साल 04 अक्टूबर को एचएएल ने वायु सेना को सौंप दिया था। वायु सेना की जरूरत को देखते हुए केंद्र सरकार ने लंबे इंतजार के बाद पिछले साल 30 नवंबर को 97 तेजस एमके-1ए खरीदने को मंजूरी दी थी। एचएएल के साथ अतिरिक्त 97 तेजस एमके-1ए के सौदे पर हस्ताक्षर होने के बाद कुल 180 विमानों का उत्पादन किया जाना है। एचएएल ने 83 विमानों का ऑर्डर मिलने पर प्रति वर्ष 16 जेट तैयार करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन 97 विमानों का और ऑर्डर मिलने पर प्रति वर्ष 32 जेट का उत्पादन करने की तैयारी है।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक एलसीए तेजस का यह कार्यक्रम भारतीय वायु सेना को मिग-21, मिग-23 और मिग-27 के बेड़े को बदलने में मदद करेगा। देश की 62 साल तक सेवा करने वाले लड़ाकू विमान मिग-21 की 26 सितंबर को भारतीय वायु सेना के हवाई बेड़े से विदाई होने से ठीक एक दिन पहले किया गया यह सौदा महत्वपूर्ण माना जा रहा है। मिग-21 के सेवानिवृत्त होने के बाद वायु सेना के पास लड़ाकू विमानों की 29 स्क्वाड्रन बचेंगी, जबकि जरूरत 42 की है। इसलिए नए एलसीए तेजस एमके-1 और एमके-2 को शामिल करके कम हुई स्क्वाड्रन की भरपाई की जाएगी। स्वदेशी विमान एलसीए तेजस मिग-21 की जगह लेकर वायु सेना को मजबूत बनाएंगे। मिग-21 की विदाई के साथ ही रूसी विमानों के युग का अंत जरूर है, लेकिन इसकी विरासत हमेशा जिंदा रहेगी।

वायु सेना की जरूरतों को देखते हुए तैयार किये जा रहे एलसीए तेजस एमके-1ए फाइटर जेट में एवियोनिक्स, हथियार और रखरखाव में 43 तरह के सुधार किये गए हैं। एचएएल के मुताबिक अब तेजस एमके-1ए में अत्याधुनिक एईएसए रडार होगा, जो तेजस एमके-1 के इजरायली ईएल/एम-2032 रडार से बेहतर होगा। पहले बैच में इजरायली ईएल/एम-2052 राडार होगा, जबकि बाकी में स्वदेशी 'उत्तम' रडार होगा। तेजस एमके-1ए में इजरायली ईएलएल-8222 जैमर पॉड होगा, जो बीवीआर या एसएएम मिसाइलों के रडार सिग्नल को बाधित करेगा। आधुनिक वायु युद्ध के लिहाज से यह सुधार काफी महत्वपूर्ण है। तेजस एमके-1ए में युद्ध के लिए नजदीकी, बीवीआर और लंबी दूरी की बीवीआर बेहतर मिसाइलें होंगी। इसमें हवा से जमीन पर हमला करने के लिए 500 किलोग्राम एलजीबी और बिना गाइड वाले बम भी होंगे। -----------

हिन्दुस्थान समाचार / सुनीत निगम

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