भारत में बाल विवाह में उल्लेखनीय गिरावट

26 Sep 2025 19:03:31
प्रतीकात्मक


-लड़कियों के बाल विवाह की दर में 69% और लड़कों के बाल विवाह में 72% की कमी

न्यूयार्क, 26 सितंबर (हि.स.)। भारत में सदियाें से चली आ रही बाल विवाह रूपी सामाजिक बुराई में अब उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गयी है। देश में लड़कियों के बाल विवाह की दर में 69 प्रतिशत और लड़कों के बाल विवाह की दर में 72 प्रतिशत की कमी दर्ज की गयी है।

बाल अधिकारों की सुरक्षा एवं संरक्षण के लिए 250 से भी ज्यादा नागरिक समाज संगठनों के सबसे बड़े नेटवर्क जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) की न्यूयार्क में जारी एक रिपाेर्ट में यह खुलासा किया गया है। ‘टिपिंग प्वाइंट टू जीरो : एविडेंस टूवार्ड्स ए चाइल्ड मैरेज फ्री इंडिया’ शीर्षक से जारी यह रिपाेर्ट जेआरसी के सहयोगी संगठन इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन के शोध प्रभाग ने तैयार की है।

रिपोर्ट के अनुसार बाल विवाह की रोकथाम के लिए गिरफ्तारियां और प्राथमिकी दर्ज करने जैसे कानूनी उपाय सबसे प्रभावी साबित हुए हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि लड़कियों के बाल विवाह की दर में सबसे ज्यादा 84 प्रतिशत की गिरावट असम में दर्ज की गई है। इसके बाद संयुक्त रूप से महाराष्ट्र एवं बिहार (70 प्रतिशत) का स्थान है जबकि राजस्थान और कर्नाटक में क्रमश 66 और 55 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।

रिपोर्ट के अनुसार पिछले तीन वर्षों के दौरान केंद्र, राज्य सरकारों और नागरिक समाज संगठनों के समन्वित प्रयासों की बदौलत बाल विवाह की दर में यह अप्रत्याशित गिरावट संभव हुई है। सर्वे में हिस्सा लेने वाले 99 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि उन्होंने मुख्यत: गैरसरकारी संगठनों के जागरूकता अभियानों, स्कूलों एव पंचायतों के जरिए सरकार के बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के बारे में सुना या जाना है।

संगठन ने बाल विवाह की रोकथाम की दिशा में असम की अभूतपूर्व उपलब्धियों को मान्यता देते हुए असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा को ‘चैंपियंस ऑफ चेंज’ पुरस्कार से सम्मानित किया।

रिपाेर्ट में बतााया गया है कि 2019-21 तक देश में हर मिनट में तीन बाल विवाह होते थे जबकि रोजाना सिर्फ तीन मामलों की ही शिकायत दर्ज हो पाती थी। रिपोर्ट बताती है कि आज लगभग हर व्यक्ति बाल विवाह से जुड़े कानूनों के बारे में जानता है लेकिन कुछ साल पहले तक यह बदलाव अकल्पनीय था। रिपोर्ट के अनुसार 2030 तक बाल विवाह की समाप्ति के लिए 2024 में शुरू हुए भारत सरकार के बाल विवाह मुक्त भारत अभियान को बिहार, असम एवं महाराष्ट्र में लाेगाें तक पहुंचाने में गैरसरकारी संगठनों की अहम भूमिका रही है।

बिहार में 93%, महाराष्ट्र में 89% और असम में 88% लोगों को गैरसरकारी संगठनों के जरिए इस अभियान के बारे में जानकारी मिली। राजस्थान और महाराष्ट्र में इस अभियान के बारे में जागरूकता फैलाने में स्कूलों की अहम भूमिका रही, जहां क्रमश 87 और 77 प्रतिशत लोगों को स्कूलों से इसके बारे में पता चला।

इस बीच संगठन के संस्थापक भुवन ऋभु ने कहा, “भारत आज बाल विवाह का खात्मा करने के लिए तैयार हैै। हमने दुनिया में यह साबित किया है कि इसका खात्मा न सिर्फ संभव है बल्कि यह होकर ही रहेगा। सफलता के सूत्र बिलकुल स्पष्ट हैं- सुरक्षा से पहले रोकथाम, अभियोजन से पहले सुरक्षा और रोकथाम के लिए उपाय के तौर पर अभियोजन। यह सिर्फ भारत की जीत नहीं हैं बल्कि दुनिया के लिए एक ब्लूप्रिंट है। उन्हाेंने कहा कि सरकार का दृढ़ संकल्प, मजबूत साझेदारियां, समुदायों की भागीदारी, बच्चों की सहभागिता, सामाजिक सुरक्षा तक पहुंच और कानून के शासन पर सख्ती से अमल हो तो बाल विवाह मुक्त विश्व और भारत हमारी पहुंच में है।

रिपोर्ट बताती है कि सर्वे में शामिल सभी राज्यों के 31% गांवों में 6-18 आयुवर्ग की सभी लड़कियां स्कूलाें में पढ़ रही थीं, लेकिन इसमें खासी विषमताएं देखने को मिलीं। महाराष्ट्र के 51% गांवों में सभी लड़कियां स्कूल जा रही थीं जबकि बिहार में सिर्फ 9% गांवों में सभी लड़कियां स्कूल में थीं। सर्वे में शामिल लोगों ने गरीबी (88%), बुनियादी ढांचे की कमी (47%), सुरक्षा (42%) और परिवहन के साधनों की कमी (24%) को लड़कियों की शिक्षा में सबसे बड़ी रुकावट बताया। इसी तरह 91% लोगों ने गरीबी और 44% ने सुरक्षा को बाल विवाह के पीछे सबसे बड़ा कारण बताया।रिपोर्ट में बाल विवाह के खिलाफ लोगों को लामबंद करने के उद्देश्य से बाल विवाह मुक्त भारत के लिए एक राष्ट्रीय दिवस भी तय करने की सिफारिश की गई है।

यह रिपोर्ट देश के पांच राज्यों के 757 गांवों से जुटाए गए आंकड़ों पर आधारित है। सर्वे के लिए इन सभी राज्यों एवं गांवों का इस तरह से क्षेत्रवार तरीके से चयन किया गया कि वे देश के विविधता भरे सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भों को परिलक्षित कर सकें।

संगठन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा से कार्यक्रम “क्रिएटिंग ए चाइल्ड मैरेज फ्री वर्ल्ड : बिल्डिंग द केस फॉर प्रीवेंशन, प्रोटेक्शन एंड प्रासिक्यूशन” का आयोजन सिएरा लियोन गणतंत्र की प्रथम महिला एवं ओएएफएलएडी की अध्यक्ष डॉ. फातिमा मॉडा बियो और संयुक्त राष्ट्र में सिएरा लियोन के स्थायी मिशन एवं केन्या के साथ संयुक्त रूप से किया। इसमें वर्ल्ड ज्यूरिस्ट एसोसिएशन और जस्टिस फॉर चिल्ड्रेन वर्ल्डवाइड की भी सहभागिता थी। इस कार्यक्रम को बच्चों के खिलाफ हिंसा मामलाें से जुड़ी संयुक्त राष्ट्र संघ के विशेष प्रतिनिधि डॉ. नजात माला एमजिद, नार्वे सरकार के अंतरराष्ट्रीय विकास मंत्री एसमंड ऑउक्रस्ट, केन्या सरकार के लिंग, संस्कृति एवं बाल सेवाएं विभाग में बाल सेवाओं के प्रधान सचिव कैरेन अगेंगो, मानवाधिकारों पर फ्रांस के अंबेसडर-एट-लार्ज इसाबेल रोम, अंतर संसदीय यूनियन की सदस्य मिली ओधियाम्बू और राबर्ट एफ. केनेडी ह्यूमन राइट्स संगठन के अध्यक्ष कैरी केनेडी ने भी संबोधित किया।

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हिन्दुस्थान समाचार / नवनी करवाल

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