पाकिस्तान में हाई कोर्ट जज की कानून की डिग्री रद्द, कर्तव्य पालन पर रोक, सुप्रीम कोर्ट से मांगा इंसाफ

26 Sep 2025 14:19:31
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इस्लामाबाद, 26 सितंबर (हि.स.)। इस्लामाबाद उच्च न्यायालय (आईएचसी) के न्यायाधीश तारिक महमूद जहांगीरी ने उच्चतम न्यायालय से इंसाफ की मांग की है। यह मामला उनकी कानून की डिग्री से जुड़ा हुआ है। कराची विश्वविद्यालय ने 32 वर्ष बाद उनकी कानून की डिग्री रद्द कर दी है। न्यायाधीश जहांगीरी ने सिंध उच्च न्यायालय (एसएचसी) में कराची विश्वविद्यालय के फैसले को चुनौती देते हुए कहा कि न्यायिक स्वायत्तता की पक्षधरता के लिए उन्हें कार्यपालिका के शक्तिशाली सदस्यों से प्रतिशोध का सामना करना पड़ रहा है।

द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, कराची विश्वविद्यालय के सिंडिकेट ने विश्वविद्यालय की अनुचित साधन (यूएफएम) समिति की सिफारिश पर 31 अगस्त 2024 को न्यायमूर्ति जहांगीरी की कानून की डिग्री रद्द कर दी। हालांकि पांच सितंबर, 2024 को एसएचसी ने विश्वविद्यालय के फैसले को स्थगित कर दिया। पिछले हफ्ते 16 सितंबर को आईएचसी के मुख्य न्यायाधीश सरदार मोहम्मद सरफराज डोगर और न्यायमूर्ति मुहम्मद आजम खान की खंडपीठ ने न्यायमूर्ति जहांगीरी को उनके कर्तव्यों का पालन करने से रोक दिया। खंडपीठ न्यायाधीश पर संदिग्ध एलएलबी डिग्री रखने का आरोप लगाने वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

न्यायाधीश जहांगीरी ने आईएचसी खंडपीठ के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है। उच्चतम न्यायालय की पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ 29 सितंबर को सुनवाई करेगी। न्यायमूर्ति अमीनुद्दीन खान की अध्यक्षता वाली इस पीठ में न्यायमूर्ति जमाल खान मंडोखैल, न्यायमूर्ति मोहम्मद अली मजहर, न्यायमूर्ति हसन अजहर रिजवी और न्यायमूर्ति शाहिद वहीद शामिल हैं। इसके अलावा न्यायमूर्ति जहांगीरी ने अब इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में भी एक याचिका दायर की है। इसमें कहा गया है कि जिस सामान्य संदर्भ में उनकी एलएलबी की डिग्री को अवैध और दुर्भावनापूर्ण तरीके से रद्द किया गया है, वह उनकी अडिग न्यायिक स्वतंत्रता है।

जहांगीरी का तर्क है कि उनकी डिग्री संघीय सरकार और उसकी एजेंसियों के हस्तक्षेप की वजह से दुर्भावनापूर्ण तरीके से रद्द की गई। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि उच्चतम न्यायालय में न्यायमूर्ति जहांगीरी स्वयं इस मामले में उपस्थित होंगे या किसी वकील की सेवाएं लेंगे। इस्लामाबाद बार काउंसिल ने भी इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के उनके विरुद्ध दिए गए फैसले को चुनौती दी है।

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हिन्दुस्थान समाचार / मुकुंद

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