स्पष्ट और पारदर्शी कानून ही लोकतंत्र की आत्मा:ओम बिरला

26 Sep 2025 19:40:31
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला चंडीगढ़ में दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के उदघाटन सत्र को संबोधित करते हुए


-विधानसभा कर्मचारियों का विधेयक ड्राफ्टिंग प्रशिक्षण शुरू-विधायी प्रक्रिया में संवाद और सहमति आवश्यक

चंडीगढ़, 26 सितंबर (हि.स.)। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विधायी प्रारूपण एवं क्षमता संवर्धन नामक विषय पर आयाेजित कार्यशाला में कहा कहा कि विधायी ड्राफ्टिंग लोकतांत्रिक व्यवस्था की आत्मा है। स्पष्ट और पारदर्शी कानून ही लोकतंत्र को सुदृढ़ बनाते हैं और जनता का विश्वास शासन-प्रशासन में मजबूत करते हैं। समय के अनुसार कानूनों में संशोधन और नए कानूनों का निर्माण आवश्यक है।

लाेकसभा के अध्यक्ष शुक्रवार को चंडीगढ़ में हरियाणा विधानसभा और लोकसभा के संविधान एवं संसदीय अध्ययन संस्थान द्वारा आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का उद्घाटन करने उपरांत अपने विचार व्यक्त कर रहे थे।

ओम बिरला ने कहा कि हरियाणा सरकार लगातार लोगों के सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए जवाबदेही और कानून के शासन को सुदृढ़ कर रही है। सामूहिक प्रयासों के साथ अच्छा विधायी मसौदा तैयार करने के दृष्टिकोण से काम करना चाहिए। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि भारत का संविधान आज भी हम सभी के लिए एक सशक्त मार्गदर्शक की भूमिका निभा रहा है। इसके निर्माण की प्रक्रिया एक लंबी चर्चा, विस्तृत संवाद और सहमति-असहमति के दौर से गुजरी।

उन्होंने कहा कि विधायी ड्राफ्टिंग जैसे महत्वपूर्ण कार्य के लिए निरंतर प्रशिक्षण आवश्यक है। राज्य की विधानसभाएँ और राज्य सरकारें नियमित रूप से विधायी ड्राफ्टिंग से संबंधित प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करें।

ओम बिरला ने कहा कि यदि ड्राफ्टिंग में पारदर्शिता, स्पष्टता और सरलता हो, तो कानून आम नागरिक के लिए उपयोगी और न्यायोचित बनता है। उन्होंने कहा कि विधायी ड्राफ्टिंग में ग्रे-एरिया (अस्पष्टता) नहीं होनी चाहिए, अन्यथा न्यायिक समीक्षा में कानून की मंशा प्रभावित होती है।

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि विधायी ड्राफ्टिंग केवल तकनीकी अभ्यास नहीं, बल्कि लोकतंत्र को अधिक सशक्त, प्रभावी और जनता के करीब लाने का एक माध्यम है। अच्छे और स्पष्ट कानून ही किसी लोकतांत्रिक व्यवस्था की असली ताकत होते हैं। साथ ही, यह भी आवश्यक है कि ड्राफ्ट बनाते समय भविष्य की चुनौतियों और तकनीकी बदलावों का ध्यान भी रखा जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विधायी ड्राफ्ट कोई साधारण प्रक्रिया नहीं है। इसमें संविधान की मूल भावना, न्यायपालिका के दिशा-निर्देश, कार्यपालिका की जरूरतें और सबसे महत्वपूर्ण जनता की आकांक्षाएं, इन सबका संतुलन बैठाना होता है। एक अच्छा विधायी ड्राफ्ट समाज के हर वर्ग को ध्यान में रखकर बनाया जाता है।

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हिन्दुस्थान समाचार / संजीव शर्मा

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