नई दिल्ली, 27 सितंबर (हि.स)। केंद्र सरकार ने भारतीय सांख्यिकी संस्थान (आईएसआई) विधेयक, 2025 के मसौदे पर टिप्पणियां आमंत्रित कीं है। इस विधयेक का मसौदा जारी कर दिया है। इसका उद्देश्य आईएसआई को विश्व स्तरीय शिक्षा, शोध और नीति समर्थन प्रदान करने के लिए सशक्त बनाना है।
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) ने शनिवार को जारी एक बयान में बताया कि उसने 25 सितंबर से सार्वजनिक परामर्श के लिए भारतीय सांख्यिकी संस्थान विधेयक, 2025 का मसौदा जारी कर दिया है। मंत्रालय ने पूर्व-विधायी परामर्श प्रक्रिया के तहत सभी हितधारकों और आम जनता से टिप्पणियां और सुझाव आमंत्रित किए हैं। इस मसौदा विधेयक और टिप्पणियां भेजने के लिए निर्धारित प्रारूप मंत्रालय की वेबसाइट https://new.mospi.gov.in पर उपलब्ध है। इसके सुझाव 24 अक्टूबर, 2025 तक एमएस वर्ड या पीडीएफ प्रारूप में capisi-mospi[at]gov[dot]in पर ईमेल द्वारा भेजे जा सकते हैं।
मंत्रालय के मुताबिक अनुसार डॉ. आर. ए. माशेलकर की अध्यक्षता में 2020 में गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट में शासन को मजबूत करने, शैक्षणिक कार्यक्रमों का विस्तार करने और आईएसआई को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए बड़े सुधारों की सिफारिश की है। उपरोक्त सिफारिश को ध्यान में रखते हुए प्रस्तावित मसौदा विधेयक निम्नलिखित मार्गदर्शक सिद्धांतों पर आधारित है:-
उत्कृष्टता:- शैक्षणिक अनुशासनात्मक उत्कृष्टता, वैश्विक प्रतिस्पर्धा और नवाचार को बढ़ावा देना।
प्रभावी शासन:- स्पष्ट संस्थागत संरचनाओं की स्थापना, निर्णय लेने को सुव्यवस्थित करना, तथा नेतृत्व और प्रशासन में ईमानदारी को बरकरार रखना।
स्वायत्तता:- संस्थान को अपने दैनिक कामकाज और योजना निर्माण क्षेत्र में अधिक निर्णय लेने की शक्तियां प्रदान करना।
जवाबदेही:- हितधारकों के प्रति पारदर्शिता, निगरानी और जवाबदेही सुनिश्चित करना।
प्रस्तावित सुधारों का उद्देश्य 21वीं सदी में आईएसआई की पूरी क्षमता को उजागर करना है। आईएसआई को अन्य राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों के कानूनी और प्रशासनिक ढांचे के साथ जोड़कर, सरकार विश्वस्तरीय शिक्षा, शोध और नीतिगत समर्थन प्रदान करने की इसकी क्षमता को मज़बूत करना चाहती है।
उल्लेखनीय है कि आईएसआई की स्थापना दिसंबर 1931 में हुई थी, तब से यह भारत के सबसे प्रतिष्ठित शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों में से एक बन गया है। इसके राष्ट्रीय योगदान को मान्यता देते हुए संसद ने भारतीय सांख्यिकी संस्थान अधिनियम, 1959 पारित किया और आईएसआई को राष्ट्रीय महत्व का संस्थान (आईएनआई) घोषित किया।
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हिन्दुस्थान समाचार / प्रजेश शंकर