वाराणसी में रोप-वे को लेकर जाे भ्रांतियों फैलाई गई हैं वह पूरी तरह से निराधार है : पूजा मिश्रा

28 Sep 2025 19:18:31
वाराणसी में रोप-वे परियोजना की जानकारी देती एनएचएनएमएल की प्रोजेक्ट निदेशक पूजा मिश्रा


- दैवीय आपदा के दृष्टिकोण से भी सुरक्षित, यूरोपियन स्टैंडर्ड के सुरक्षा उपकरण लगे हैं

- रोपवे प्रोजेक्ट टूरिज़्म, रोजगार और शहर के आर्थिक विकास का नया द्वार भी खोलेगा

वाराणसी, 28 सितंबर (हि.स.)। वाराणसी में सुरक्षित और सुविधाजनक यात्रा करने के लिए रोप-वे को तैयार किया जा रहा है। जल्द ही वाराणसी में काशी वासियों को अपनी तरह का यह अनूठा ट्रांसपोर्ट सिस्टम इस्तेमाल करने को मिलेगा। रोप-वे को लेकर जाे भ्रांतियों फैलाई गई हैं वह पूरी तरह से निराधार है। रविवार काे वाराणसी विकास प्राधिकरण कार्यालय में आयाेजित प्रेसवार्ता में नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट लिमिटेड (एनएचएनएमएल) की प्रोजेक्ट निदेशक पूजा मिश्रा ने यह जानकारी दीं। इस दाैरान वाराणसी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष पुलकित गर्ग समेत अन्य लाेग भी माैजूद रहें।

केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार के सहयाेग से पर्वतमाला प्रोजेक्ट के अंतर्गत एशिया का पहला अर्बन रोप-वे प्रोजेक्ट शहरी परिवहन (अर्बन ट्रांसपोर्ट) वाराणसी में शुरू किया जा रहा है। यह रोप-वे वाराणसी कैंट स्टेशन से गोदौलिया तक होगा, जाे 3.8 किलोमीटर की दूरी को तय करता है। इस बीच काशी विद्यापीठ, रथयात्रा इंटरमीडिएट स्टेशन होंगे तथा गिरजाघर एक टेक्निकल स्टेशन होगा। इस प्रकार कुल 5 स्टेशन और 29 टावर बनाए जाएंगे। परियोजना की कुल लागत 815.58 करोड़ है, जिसमें 15 वर्षों का ओ एण्ड एम (ऑपरेशन एण्ड मेंटेनेंस) भी शामिल है।

अधिकारियों ने बताया कि राेप-वे दैवीय आपदा के दृष्टिकोण से भी सुरक्षित है। तेज हवा या बिजली कड़कने की स्थिति में गंडोला की गति अपने आप धीमी हो जाएगी। यदि बिजली आपूर्ति बंद हो जाती है, तो भी यह रास्ते में नहीं रुकेगा, बल्कि अपने नजदीकी स्टेशन पर पहुंच जाएगा। गंडोला एक बार बंद होने पर अंदर से नहीं खुलेगा केवल बाहर से खोले जा सकेंगे। रोप-वे प्रोजेक्ट के अंतर्गत यूरोपियन स्टैंडर्ड के सुरक्षा उपकरण लगाए जा रहे हैं। इमरजेंसी स्थितियों की निगरानी के लिए कंट्रोल रूम का निर्माण किया जा रहा है। गंडोला कब खुलेगा और कब बंद होगा, यह सब कंट्रोल रूम से नियंत्रित होगा। रोप-वे का किराया भी काफी कम होगा, इसके लिए आर्थिक विकास मॉडल की कार्ययोजना बन रही है।

एनएचएनएमएल की प्रोजेक्ट निदेशक पूजा मिश्रा ने बताया राेप-वे की क्षमता 3000 व्यक्ति प्रति घंटा पर डायरेक्शन (पीपीएचपीडी) है, यानी 16 घंटे के संचालन में प्रतिदिन लगभग 96,000 यात्रियों की आवाजाही होगी। इसके लिए 150 गंडोला लगाए जाएंगे। यह क्षमता भारत के सबसे बड़े गुलमर्ग रोप-वे की तुलना में 2.5 गुना अधिक है। अधिक क्षमता के कारण बड़े डायामीटर की रोप्स, हाई पावर ड्राइव्स एवं स्टैंडबाई सिस्टम्स, बड़े टर्मिनल्स, एडवांस्ड कंट्रोल और कम्युनिकेशन्स सिस्टम्स, तथा बेहतर इवैक्यूएशन और रेस्क्यू प्रावधान भी तैयार हो रहा है।

रोप-वे की टिकट दरें आम जनता के लिए किफायती रखने के लिए स्टेशनों को केवल ट्रांजिट प्वाइंट न होकर मल्टी स्टोरीड कमर्शियल स्पेस, बजट होटल्स और ऑफिस स्पेस के रूप में भी विकसित किया जा रहा है। लगभग 2,00,000 स्क्वायर फीट का निर्माण इस उद्देश्य से होगा। इससे रोपवे को निरंतर रेवेन्यू प्राप्त होगा, प्रोजेक्ट सेल्फ-सस्टेनेबल बनेगा और शहर की आर्थिक गतिविधियों व रोजगार में वृद्धि होगी।

अधिकारियों ने बताया कि रोप-वे में लेटेस्ट टेक्नोलॉजी और हाई क्वालिटी मटेरियल्स (गंडोला और रोप्स सहित) का उपयोग किया जा रहा है। एक एडवांस्ड कंट्रोल रूम से सभी गतिविधियां और सेफ्टी पैरामीटर्स सेंसर्स के माध्यम से चौबीसों घंटे मॉनिटर की जाएंगी।

गंडोला अपने आप नजदीकी स्टेशन तक पहुंच जाएगा, ऑक्सिलरी मोटर्स और डीजी सेट हर समय उपलब्ध रहेंगे। प्रशिक्षित दल के साथ क्रेन्स द्वारा वर्टिकल रेस्क्यू की व्यवस्था रहेगी। इसमें चार स्तर का सेफ्टी सर्टिफिकेशन होगा। कन्सेशनैयर, सेफ्टी कंसल्टेंट, इंडिपेंडेंट इंजीनियर और यूपी सरकार द्वारा नामित रोप-वे इंस्पेक्टर।

अधिकारियों ने बताया कि रोप-वे घनी आबादी वाले अर्बन एरिया से होकर गुजरता है और मौजूदा बिल्डिंग्स के ऊपर से जाता है। इस कारण टावर्स की हाइट बहुत अधिक रखनी पड़ी, जिसमें सबसे ऊंचा टावर 160 फीट है। इन टावर्स की फाउंडेशन 80 फीट गहरी बनाई गई है। गंगा के मैदानी क्षेत्र में होने के कारण स्टेशनों में पाइल फाउंडेशन लगभग 100 फीट गहरी की गई है। कैंट स्टेशन में लगभग 500 पाइल्स और अन्य स्टेशनों में 300 से अधिक पाइल्स बनाए जा रहे हैं।

एलाइन्मेंट के कारण रथयात्रा से गोदौलिया मुड़ने के समय तेज टर्न पर गिरजाघर स्टेशन बनाना आवश्यक हुआ। उन्होंने बताया कि रोप-वे प्रारंभ करने से पूर्व मेट्रो और अन्य परिवहन विकल्पों की तुलना में विभिन्न टेक्निकल ऑर्गनाइजेशन्स द्वारा फिजिबिलिटी स्टडी की गई। यह रोप-वे प्रोजेक्ट वाराणसी के लिए केवल एक अत्याधुनिक अर्बन ट्रांसपोर्ट साधन नहीं होगा, बल्कि टूरिज्म, रोजगार और शहर के आर्थिक विकास का नया द्वार भी खोलेगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी

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