‘साहित्य अमृत’ के 30 साल पूरे, अर्जुन राम मेघवाल ने प्रभात प्रकाशन की सराहना की, युवा कहानीकारों को मिला सम्मान

29 Sep 2025 20:37:31
साहित्य अमृत’ के 30 साल पूरे, अर्जुन राम मेघवाल ने प्रभात प्रकाशन की सराहना की, युवा कहानीकारों को मिला सम्मान


साहित्य अमृत’ के 30 साल पूरे, अर्जुन राम मेघवाल ने प्रभात प्रकाशन की सराहना की, युवा कहानीकारों को मिला सम्मान


नई दिल्ली, 29 सितंबर (हि.स.)। केंद्रीय न्याय एवं विधि तथा संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि साहित्य समाज में जागरूकता और मूल्यों को जीवित रखने का कार्य करता है और युवा लेखकों को इसमें सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।

प्रभात प्रकाशन की पुस्तक साहित्य अमृत के तीस साल पूरे होने पर सोमवार को राजधानी दिल्ली में युवा हिंदी कहानी प्रतियोगिता का पुरस्कार वितरण और वरिष्ठ साहित्यकार लक्ष्मी शंकर वाजपेयी की पुस्तक ‘जो जगाते हैं’ का लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम में मुख्यातिथि अर्जुन राम मेघवाल थे। कार्यक्रम में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सदस्य सचिव प्रो. सच्चिदानंद जोशी, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा के कुलपति प्रो. कुमुद शर्मा उपस्थित रहे।

मेघवाल ने अपनी आगामी पुस्तक “पचपन और बचपन: कैसे बढ़ायें अपना पन” का जिक्र करते हुए बताया कि यह कृति उन दंपत्तियों के अनुभवों पर आधारित है, जिन्होंने विवाह के 55 वर्ष पूरे किए हैं और उन नवविवाहित जोड़ों पर भी, जिनका विवाह एक वर्ष से कम हुआ है। मेघवाल ने कहा कि इन अनुभवों को साझा कर नई पीढ़ी को जीवन मूल्यों की समझ दी जा सकती है।

उन्होंने राजस्थान के श्री कोलैत स्थान का जिक्र करते हुए कहा कि संभवतः हरियाणा का कलैत नाम उसी से निकला है। यह वही स्थान है जहां कपिल मुनि ने तपस्या की थी और गुरु नानक देव जी यहां यह जानने आए थे कि उस जगह की विशेषता क्या है। वहां उनकी मुलाकात जैन मुनियों से हुई और उन्होंने उनसे प्रश्न किया कि जब ईश्वर को पहचान लिया जाता है तो नाम जपने की आवश्यकता क्यों रह जाती है। मेघवाल ने कहा कि प्रभात प्रकाशन की यह यात्रा अत्यंत पुण्य है और हिंदी साहित्य में इसका बड़ा योगदान है।

लक्ष्मी शंकर वाजपेयी ने कहा कि 2015 में जब युवा हिंदी कहानी प्रतियोगिता के बीस वर्ष पूरे हुए थे, तब पूरे देश से 200 से अधिक कहानियां आमंत्रित की गई थीं। निर्णायक मंडल के समक्ष केवल दस कहानियों का चयन करना कठिन हो गया था और उसी दौरान यह तय किया गया कि विजेताओं का क्रम घोषित न किया जाए।

उन्होंने कहा कि उस समय चुनी गई दस कहानियों में से सात विशेष रूप से उल्लेखनीय साबित हुईं। इस बार जब प्रतियोगिता के तीस वर्ष पूरे हुए तो पूरे देश से 400 से अधिक कहानियां प्राप्त हुईं, जो यह दर्शाता है कि देश में युवाओं के बीच हिंदी लेखन का चलन बढ़ रहा है और साहित्य के प्रति उनकी रुचि प्रबल हो रही है।

प्रो. सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि साहित्य अमृत ने युवा लेखकों को एक मंच दिया है, जिसके माध्यम से वे अपनी अभिव्यक्ति को आकार देते हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. कुमुद शर्मा ने स्मृति साझा करते हुए कहा कि आज से तीस वर्ष पूर्व जब पत्रिका के तत्कालीन संपादक पंडित विद्यानिवास मिश्र ने उन्हें इससे जुड़ने के लिए कहा, तो वे उस समय दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रही थीं और पारिवारिक जिम्मेदारियों में व्यस्त थीं। उन्होंने पत्रिका से इस शर्त पर जुड़ाव किया कि वे घर से काम करेंगी। धीरे-धीरे पत्रिका में उनकी रचनाएं प्रकाशित होने लगीं और पंडित मिश्र ने उन्हें कॉलम लिखने का कार्य सौंपा। आरंभ में यह कार्य उन्होंने अनिच्छा से किया, लेकिन वही कॉलम आगे चलकर सबसे लोकप्रिय हो गया।

शर्मा ने कहा कि यह पंडित मिश्र का दूरदर्शी दृष्टिकोण था कि उन्होंने सही दिशा में मार्गदर्शन किया।

युवा हिंदी कहानी प्रतियोगिता में विजेताओं को सम्मानित भी किया गया। प्रथम पुरस्कार के रूप में जालोर, राजस्थान के शिवलाल को उनकी कृति “जीवन का ध्येय” पर 31,000 रुपये प्रदान किए गए। द्वितीय पुरस्कार मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश के भानुदत्त त्रिपाठी को उनकी कृति “वाणी की शक्ति” पर 21,000 रुपये की राशि के साथ दिया गया। तृतीय पुरस्कार पाली, राजस्थान के भानु कुमार वर्मा को उनकी कृति “जागृति” पर 11,000 रुपये प्रदान किया गया।

इसके अलावा प्रोत्साहन पुरस्कारों में पाली, राजस्थान के महाबीर प्रसाद को “सद्भाव”, मधुबनी, बिहार के भगवानंद सिंह को “नया संकल्प”, बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश के रामनाथ प्रसाद को “वेदना की गूंज” तथा दिल्ली की शकुंतला देवी को “केवल तुम” कृति पर सम्मानित किया गया। प्रत्येक को प्रोत्साहन स्वरूप 5,100 रुपये की राशि प्रदान की गई।

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हिन्दुस्थान समाचार / प्रशांत शेखर

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