नई दिल्ली, 29 सितंबर (हि.स.)। चीता पुनस्र्थापना प्रोजेक्ट के तहत भारत में जन्मी मादा चीता मुखी ने सोमवार को ढाई साल पूरे कर लिए। इसी के साथ मुखी वयस्क की श्रेणी में आ गई है। कूनो प्रबंधन के अनुसार यह उम्र चीता के वयस्क होने का मानक है। सोमवार को केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव ने मुखी को सफलता और साहस का प्रतीक बताया।
उन्होंने सोमवार को एक्स पर मुखी की तस्वीरें साझा करते हुए कहा कि
भारत में जन्मी पहली चीता शावक, मुखी, अब ढाई साल की हो गई है। उसका जन्म 29 मार्च 2023 को हुआ था, लेकिन उसे जीवन के शुरुआती दिनों में ही एक त्रासदी का सामना करना पड़ा जब 23 मई 2023 को, जब वह सिर्फ़ दो महीने की थी, उसने अपने तीन भाई-बहनों को भीषण गर्मी के कारण खो दिया। उसी दिन, मुखी खुद कमज़ोर और थकी हुई पाई गई और उसे स्वास्थ्य जाँच के लिए ले जाना पड़ा।
बाद में उसे उसकी मां ज्वाला से मिलाने की कोशिश की गई, लेकिन मां ने उसे स्वीकार नहीं किया।
भूपेन्द्र यादव ने बताया कि उसके बाद से, मुखी का पालन-पोषण कुनो राष्ट्रीय उद्यान प्रबंधन टीम ने अत्यंत सावधानी से किया। मुखी का सफ़र आसान नहीं था। मुखी को कई स्वास्थ्य संकटों और अन्य चुनौतियों का सामना करना पड़ा, फिर भी हर बार वह और मज़बूत होकर उभरी। उसका जीवित रहना न केवल एक प्रेरणा है, बल्कि प्रबंधकों, पशु चिकित्सकों और क्षेत्रीय कर्मचारियों को यह विश्वास भी दिलाया है कि कुनो स्वास्थ्य आपात स्थितियों और प्रतिकूल परिस्थितियों का प्रभावी ढंग से सामना कर सकती है।
मुखी आज एक सच्चे योद्धा के रूप में खड़ी हैं और साहस और आशा के जीवंत प्रतीक बन गई है।
उल्लेखनीय है कि कूनो में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से कुल 20 चीते लाए गए थे। अब तक नौ चीतों के अलावा भारत में जन्में 26 शावकों में से 10 की मौत हो गई है। वर्तमान में 11 चीते और 16 शावक हैं। इनमें से तीन चीते गांधीसागर अभयारण्य में हैं।
---------------
हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी