नई दिल्ली, 29 सितंबर (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को यहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नए प्रदेश कार्यालय का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि दिल्ली भाजपा के इस कार्यालय की पहचान इसकी भव्यता या सुविधाओं से नहीं बल्कि जनसुनवाई और जनसेवा से होनी चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए यह कार्यालय केवल एक इमारत नहीं बल्कि सेवा और संवेदना का केंद्र है। उन्होंने कहा, “हमारे कार्यकर्ता यहां तभी आएं जब वे किसी जरूरतमंद की उम्मीदें लेकर आएं। इस कार्यालय से लिए गए फैसले जितने संवेदनशील और सेवा भाव से प्रेरित होंगे, उतना ही दिल्ली के नागरिकों का हित सुनिश्चित होगा।”
नवरात्रि के अवसर पर उद्घाटन को विशेष बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह अवसर भाजपा के लिए नए सपनों और नए संकल्पों से भरा है। उन्होंने दिल्ली भाजपा के सभी कार्यकर्ताओं को बधाई देते हुए कहा कि पार्टी ने 45 वर्षों की यात्रा में अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं और आज यह एक विशाल संगठन के रूप में देश के कोने-कोने तक पहुंच चुकी है। उन्होंने याद दिलाया कि भाजपा की जड़ें 1951 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नेतृत्व में स्थापित जनसंघ से जुड़ी हैं। दिल्ली जनसंघ को अपना पहला अध्यक्ष वैद्य गुरुदत्त के रूप में मिला था। समय-समय पर एलके आडवाणी, डॉ. भाई महावीर और हरदयाल देवगुण जैसे नेताओं ने संगठन को मजबूत किया। वर्ष 1980 में भाजपा के गठन के बाद दिल्ली की कमान वीके मल्होत्रा के हाथों में रही।
प्रधानमंत्री ने दिल्ली भाजपा के अतीत को याद करते हुए कहा कि मदनलाल खुराना, साहब सिंह वर्मा, केदारनाथ साहनी जैसे दिग्गज नेताओं ने पार्टी को दिल्ली में मजबूती दी। वहीं, अरुण जेटली और सुषमा स्वराज जैसे नेताओं ने अपना जीवन भाजपा और जनता की सेवा को समर्पित कर दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दिल्ली और भाजपा का संबंध केवल एक राजनीतिक संगठन और एक शहर का रिश्ता नहीं है बल्कि यह संबंध सेवा, संस्कार और संघर्ष से जुड़ा हुआ है। उन्होंने बताया कि बंटवारे के बाद जब लाखों शरणार्थी दिल्ली आए, तब जनसंघ के कार्यकर्ताओं ने उनके पुनर्वास का कार्य संभाला।
आपातकाल के दौर में संगठन के पदाधिकारियों ने सत्ता के दमन के खिलाफ संघर्ष किया और 1984 के सिख विरोधी दंगों के समय कार्यकर्ताओं ने हर संभव मदद कर पीड़ित परिवारों का साथ दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि दिल्ली भाजपा का यह त्याग और संघर्ष ही उसे जनता से जोड़े रखता है।
उन्होंने कहा कि अतीत में जब भी राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन हुए, उनका केंद्र दिल्ली रहा। उस दौर में जब पार्टी के पास सीमित संसाधन थे, तब भी दिल्ली के कार्यकर्ताओं ने पूरे देश से आए कार्यकर्ताओं को अपने घरों में ठहराकर संगठन को मजबूत करने में अहम योगदान दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने नए प्रदेश कार्यालय को केवल एक इमारत न बताते हुए उसे देवालय की संज्ञा दी। उन्होंने कहा, “हमारे लिए कोई भी भाजपा कार्यालय किसी मंदिर से कम नहीं है। यह कार्यालय हमारी पार्टी को जमीन और जन-अपेक्षाओं से जोड़ने वाली मजबूत कड़ी है। भाजपा सत्ता के लिए नहीं बल्कि सेवा के लिए सरकार में है और यह कार्यालय उस चेतना को जागृत करता है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्षों के बाद दिल्ली में भाजपा की सरकार बनने से जनता ने अपने बेहतर भविष्य की उम्मीदें पार्टी पर जताई हैं। झुग्गी-बस्तियों में नए मकान, सरकारी स्कूलों और अस्पतालों को आधुनिक बनाने, यमुना की सफाई और इलेक्ट्रिक बसों के संचालन जैसे कार्यों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जब दिल्ली भाजपा संगठन और सरकार मिलकर काम करेंगे तो विकसित भारत और विकसित दिल्ली का सपना तेजी से पूरा होगा।
मोदी ने भाजपा सरकारों के सुशासन मॉडल पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भाजपा ने “विकास भी और विरासत भी” के मंत्र को अपनाते हुए काम किया है। सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए सरकार ने भ्रष्टाचार मुक्त शासन का वातावरण बनाया है। उन्होंने कर सुधारों का उल्लेख करते हुए बताया कि 2014 से पहले दो लाख रुपये से अधिक आय पर टैक्स देना पड़ता था, लेकिन अब 12 लाख रुपये तक की आय कर मुक्त है। इसी तरह जीएसटी से भी आम परिवारों की बचत में इजाफा हुआ है। इन सुधारों से हर साल देशवासियों को करीब ढाई लाख करोड़ रुपये की बचत हो रही है।
प्रधानमंत्री ने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि वे नेक्स्ट जनरेशन जीएसटी का लाभ प्रत्येक सामान्य व्यक्ति तक पहुंचाएं और दुकानदारों व ग्राहकों को इसके प्रति जागरूक करें।
प्रधानमंत्री मोदी ने देश को आत्मनिर्भर बनाने पर जोर देते हुए कहा कि हमें ‘स्वदेश अपनाओ’ अभियान को आगे बढ़ाना है। उन्होंने कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे देशभर में दुकानों पर “ये स्वदेश है” बोर्ड लगाने का अभियान चलाएं। प्रधानमंत्री ने देश की सांस्कृतिक एकता को रेखांकित करते हुए कहा कि दिल्ली भारत की विविधता का प्रतिबिंब है। देश के सभी राज्यों के प्रमुख त्योहार दिल्ली में मनाए जाने चाहिए ताकि यह संदेश जाए कि भारत एक परिवार है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जब सिंगापुर में दीपावली पर रोशनी होती है या अन्य देशों में उनके प्रमुख नेता दीप जलाते हैं तो भारतीयों को गर्व होता है। इसी तरह भारत में भी अगर हर राज्य का त्योहार पूरे देश में मनाया जाए तो एकता की भावना और मजबूत होगी।
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हिन्दुस्थान समाचार / सुशील कुमार