राष्ट्रीय परामर्श बैठक में देश के लिए एक व्यापक डिमेंशिया रणनीति की आवश्यकता पर दिया गया जोर

29 Sep 2025 20:16:31
डॉ. जितेंद्र सिंह अे आईआईएसएफ 2025 की तैयारियों की समीक्षा करते हुए


नई दिल्ली, 29 सितंबर (हि.स.)। मानव व्यवहार और संबद्ध विज्ञान संस्थान (इहबास), डिमेंशिया इंडिया एलायंस (डीआईए) ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के सहयोग से सोमवार को डिमेंशिया रणनीति पर राष्ट्रीय परामर्श बैठक का आयोजन किया। राष्ट्रीय सामाजिक रक्षा संस्थान के समर्थन के साथ इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित राष्ट्रीय परामर्श बैठक में नीति-निर्माताओं, स्वास्थ्य पेशेवरों, शोधकर्ताओं, सामाजिक क्षेत्र के संगठनों और देखभालकर्ताओं के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। यह आयोजन विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के उस आह्वान के अनुरूप था जिसमें देशों को राष्ट्रीय डिमेंशिया योजनाएं विकसित करने की सलाह दी गई है।

विशेषज्ञों ने भारत के लिए एक व्यापक राष्ट्रीय डिमेंशिया रणनीति की तात्कालिक आवश्यकता पर जोर दिया।

इस अवसर पर नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ विनोद के पॉल ने कहा,

“डिमेंशिया व्यक्तिगत नहीं बल्कि एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य और सामाजिक चुनौती है, जिसके लिए अंतःक्षेत्रीय समन्वय और प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करना आवश्यक है ताकि समय पर और समान रूप से देखभाल उपलब्ध हो सके। उन्होंने कहा कि भारत की रणनीति बहु-क्षेत्रीय होनी चाहिए, जिसमें स्वास्थ्य, सामाजिक कल्याण और सामुदायिक तंत्र शामिल हों ताकि हर डिमेंशिया रोगी और उसके परिवार को समय पर और न्यायसंगत देखभाल मिले।”

इस मौके पर

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के महासचिव एवं सीईओ डॉ. भरत लाल ने कहा, “डिमेंशिया को सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राथमिकता के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए, ताकि प्रभावित लोगों के अधिकार और गरिमा सुरक्षित रह सके।

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के सचिव अमित यादव ने कहा कि

सरकार डिमेंशिया और बुजुर्गों के लिए सामाजिक देखभाल सेवाओं को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। देखभालकर्ता प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण कार्यक्रमों से अपने बुजुर्गों की गरिमा, सुरक्षा और समावेशन सुनिश्चित कर सकते हैं।”

बैठक में 100 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। विशेषज्ञों और देखभालकर्ताओं ने ज़ोर दिया कि रणनीति में प्रारंभिक निदान, कलंक-उन्मूलन, देखभालकर्ता सहायता, कार्यबल प्रशिक्षण और परिवारों के लिए वित्तीय सुरक्षा को शामिल किया जाना चाहिए।

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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी

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