नई दिल्ली, 29 सितंबर (हि.स.)। भारतीय सांख्यिकी सेवा (आईएसएस), भारतीय कौशल विकास सेवा (आईएसडीएस) और केन्द्रीय अभियान्त्रिकी सेवा (सीईएस) के प्रोबेशनर अधिकारियों ने सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से राष्ट्रपति भवन में भेंट की। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने अधिकारियों को राष्ट्र निर्माण में योगदान देने की प्रेरणा दी और कहा कि ईमानदारी और समर्पण से सेवा करके वे भारत को अधिक समृद्ध, सक्षम और समावेशी बना सकते हैं।
भारतीय सांख्यिकी सेवा के अधिकारियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि ठोस नीति निर्माण और क्रियान्वयन का आधार सटीक सांख्यिकीय विश्लेषण है। उन्होंने कहा कि आंकड़ों की विश्वसनीयता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण किसी भी निर्णय को प्रभावी बनाते हैं। उन्होंने अधिकारियों से अपेक्षा जताई कि वे देश की बढ़ती डेटा आवश्यकताओं को विशेषज्ञता और पारदर्शिता से पूरा करेंगे।
भारतीय कौशल विकास सेवा के अधिकारियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि कौशल और ज्ञान किसी भी देश की वास्तविक संपत्ति हैं। वैश्विक प्रतिस्पर्धा के इस दौर में वही देश आगे बढ़ते हैं जिनके पास उच्च प्रशिक्षित कार्यबल होता है। भारत के लिए यह आवश्यक है कि युवा उन्नत तकनीकी कौशलों को अपनाएं। उन्होंने भरोसा जताया कि आईएसडीएस अधिकारी देश के लिए एक मजबूत और भविष्य-उन्मुख कार्यबल तैयार करने में अहम भूमिका निभाएंगे।
केन्द्रीय अभियान्त्रिकी सेवा के अधिकारियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि इंजीनियर तकनीकी प्रगति और आर्थिक विकास के आधार स्तंभ हैं। सरकार की बुनियादी ढांचा विकास योजनाओं में अभियान्त्रिकी सेवाओं की जिम्मेदारी और बढ़ गई है। उन्होंने आग्रह किया कि विकास परियोजनाओं में टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल उपायों को अपनाया जाए। उन्होंने यह जानकर संतोष व्यक्त किया कि सीपीडब्ल्यूडी हरित तकनीकों को बढ़ावा दे रहा है।
राष्ट्रपति ने अधिकारियों से कहा कि वे केवल नीतियों को लागू करने तक सीमित न रहें, बल्कि अपने अनुभव और फीडबैक से नीति-निर्माण में भी सहयोग करें। समाज के कमजोर और हाशिए पर खड़े वर्गों तक योजनाओं का लाभ पहुंचाना ही वास्तविक प्रगति का संकेत है। राष्ट्रपति ने कहा कि अधिकारी यदि सेवा-भाव, निष्ठा और पारदर्शिता के साथ कार्य करेंगे तो भारत दुनिया के सामने एक आदर्श राष्ट्र के रूप में उभरेगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / सुशील कुमार