- कोविड महामारी के बाद बढ़ते जैविक खतरों के प्रति हमें भविष्य में तैयार रहना चाहिए
नई दिल्ली, 30 सितंबर (हि.स.)। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने मंगलवार को भविष्य के लिए परमाणु हथियारों से होने वाले जैविक खतरों के खिलाफ तैयार रहने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आज के डेटा केंद्रित युद्ध के युग में सूचना तक पहुंच दुश्मन को या तो हम पर बढ़त दिला सकती है या उसे कुछ हद तक बढ़त दिला सकती है। हालांकि, डेटा सुरक्षा और डेटा संरक्षण सीधे तौर पर एमएनएस की जिम्मेदारी नहीं है, लेकिन आपको इन सभी प्रकार की चुनौतियों के बारे में पता होना चाहिए।
दिल्ली कैंट स्थित मानेकशॉ सेंटर में मिलिट्री नर्सिंग सर्विस (एमएनएस) के 100वें स्थापना दिवस पर वैज्ञानिक सत्र को संबोधित करते हुए सीडीएस जनरल चौहान ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद हमारे प्रधानमंत्री ने कहा है कि भारत परमाणु ब्लैकमेल से नहीं डरेगा। हालांकि, हमारी ओर से परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की संभावना बहुत कम है, फिर भी इसे हमारी सुरक्षा में शामिल करना समझदारी होगी। रेडियोलॉजिकल प्रदूषण के लिए अलग प्रोटोकॉल की आवश्यकता होती है और यह हमारे प्रशिक्षण का हिस्सा होना चाहिए। परमाणु खतरों के विरुद्ध तैयारी इसके उपयोग के विरुद्ध निवारक उपाय में योगदान करती है। मुझे लगता है कि यह महत्वपूर्ण है।
उन्होंने सैन्य नर्सिंग सेवा को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय डीएनए अद्वितीय है। हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली अलग-अलग वातावरण या संक्रमणों के प्रति अलग-अलग प्रतिक्रिया करती है। व्यापक स्तर पर व्यक्तिगत चिकित्सा डेटा की सुरक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है और इसमें केस हिस्ट्री, रिपोर्ट और चिकित्सा स्वास्थ्य रिकॉर्ड शामिल हैं। परिचालन डेटा, स्वास्थ्य पैटर्न से संबंधित तैनाती, निकासी योजनाओं को भी लीक से सुरक्षित रखने की आवश्यकता है। चिकित्सा डेटा की भूमिका-आधारित पहुंच और एन्क्रिप्शन आज के डेटा केंद्रित युद्ध के युग में बहुत प्रासंगिक है। सूचना तक पहुंच दुश्मन को या तो हम पर बढ़त दिला सकती है या उसे कुछ हद तक बढ़त दिला सकती है। हालांकि, डेटा सुरक्षा और डेटा संरक्षण सीधे तौर पर एमएनएस की ज़िम्मेदारी नहीं है, लेकिन आपको इन सभी प्रकार की चुनौतियों के बारे में पता होना चाहिए।
सीडीएस जनरल चौहान ने कहा कि कोविड महामारी के बाद के युग में जैविक खतरों के बढ़ने की संभावना है और उन्होंने उनके खिलाफ रक्षा तैयारियों का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के दौरान दुनिया गहन यात्राओं और क्लेशों के दौर से गुजरी है। भविष्य में मानव निर्मित, आकस्मिक या प्राकृतिक जैविक खतरे बढ़ने की संभावना है। उन्होंने कहा कि ऐसे खतरों से बचाव और संक्रमित व्यक्तियों के उपचार के लिए अलग उपचार प्रोटोकॉल की आवश्यकता होती है। हमें भविष्य में इसके लिए तैयार रहना चाहिए। जनरल चौहान ने सैन्य नर्सिंग सेवा के प्रयासों की भी सराहना की, जिसने कठिन परिस्थितियों में चिकित्सा उपचार में योगदान दिया। हमें तीनों सेनाओं के बीच एकजुटता की दिशा में काम करने की आवश्यकता है। हमें नर्सों के प्रशिक्षण में भविष्य में आने वाली चुनौतियों को ध्यान में रखना होगा।
जनरल चौहान ने कहा कि सैन्य नर्सिंग सेवा ने राष्ट्र के प्रति निःस्वार्थ सेवा के 100 गौरवशाली वर्ष पूरे कर लिए हैं। नर्सों के समर्पण ने संघर्षों की अग्रिम पंक्ति में, अस्थायी अस्पतालों में, समुद्र में जहाजों पर या मानवीय मिशनों में व्यथित लोगों को सांत्वना और निराश लोगों को आशा प्रदान की है। उन्होंने कहा कि मेरा दृढ़ विश्वास है कि नर्सें स्वास्थ्य सेवा की धड़कन हैं, जो केवल देखभाल से कहीं अधिक आशा, सांत्वना और करुणा प्रदान करती हैं, जब उनकी सबसे अधिक आवश्यकता होती है। यह देखकर खुशी हुई कि वैज्ञानिक सत्र न केवल महत्वपूर्ण विशेषज्ञता पर, बल्कि देखभाल करने वालों के भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक कल्याण पर भी केंद्रित है। भारतीय सशस्त्र बलों के बीच एकजुटता का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि नर्सिंग स्टाफ को सेना प्रतिष्ठान से नौसेना या वायु सेना में निर्बाध रूप से स्थानांतरित किया जा सकता है। ------------------------------
हिन्दुस्थान समाचार / सुनीत निगम